शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

👉 कटनी - "भाजपा का महापौर, भाजपा का पार्षद और भाजपा के आधीन नगर निगम.. फिर भी जलभराव और गंदे नाले के पानी से जाम सड़कों में फंस रहे स्कूली बच्चे!"

कटनी - शहर में एक बार फिर नगर निगम की लापरवाही सामने आई है। बारिश क्या हुई, जोबियल पब्लिक स्कूल के सामने संतनगर कॉलोनी की सड़कें नालों में तब्दील हो गईं। कीचड़, बदबू और गंदे पानी में से होकर स्कूली बच्चों को गुजरना पड़ रहा है।

कटनी नगर निगम पर सत्ताधारी भाजपा का कब्ज़ा है — महापौर भाजपा से, पार्षद भाजपा से... बावजूद इसके नगर निगम की नालों की सफाई व्यवस्था बुरी तरह फेल हो गई है।

जोबियल पब्लिक स्कूल के सामने संतनगर कॉलोनी की सड़कों पर गंदे नालों का पानी बह रहा है। कॉलोनी तालाब बन गई है और स्कूली बच्चे पानी में जूझते हुए स्कूल पहुँचने को मजबूर हैं।

स्थानीय रहवासी बताते हैं कि कई बार शिकायत करने के बाद भी न तो सफाई हुई, न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचा।

लोगों का कहना है कि

> “बच्चे स्कूल से लौटते हैं तो जूते उतारकर पैदल पानी पार करना पड़ता है। कई बार बच्चे गिर भी चुके हैं, पर नगर निगम को कोई फर्क नहीं पड़ता।”

यह दृश्य न सिर्फ असुविधा का प्रतीक है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

स्थानीयों की मांग:

रहवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही जलनिकासी की व्यवस्था नहीं की गई और नालों की सफाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करेंगे।

भाजपा शासित नगर निगम में व्यवस्था की पोल खुल चुकी है। सवाल यह है कि जब हर स्तर पर भाजपा का प्रतिनिधि मौजूद है, फिर शहर की सड़कों पर यह बदहाली क्यों?

गुरुवार, 10 जुलाई 2025

"कांवड़ में भक्ति और दिल में सपना: राहुल की प्रेमिका बने IPS, इसी कामना में उठाया 121 लीटर गंगाजल"

बागपत। सावन में शिवभक्ति और प्रेम का ऐसा संगम बहुत कम देखने को मिलता है। उत्तर प्रदेश के बड़ौत-मुजफ्फरनगर कांवड़ मार्ग पर इस बार एक अनोखी श्रद्धा और प्रेम की कहानी सबका ध्यान खींच रही है। दिल्ली के नरेला निवासी शिवभक्त राहुल कुमार ने हरिद्वार से 121 लीटर गंगाजल की कांवड़ उठाई है — वह भी एक खास संकल्प के साथ।

राहुल खुद इंटर पास हैं, लेकिन उन्होंने संकल्प लिया है कि जब तक उनकी प्रेमिका IPS अधिकारी नहीं बनती, वह हर साल कांवड़ लाते रहेंगे। राहुल की प्रेमिका फिलहाल इंटरमीडिएट पास कर चुकी है और सिविल सेवा की तैयारी कर रही है।

राहुल की यह चौथी कांवड़ यात्रा है। इससे पहले वह 101 लीटर की कांवड़ ला चुके हैं। इस बार उन्होंने प्रेमिका की सफलता की कामना करते हुए 121 लीटर जल उठाया है और करीब 220 किलोमीटर का कठिन सफर तय कर रहे हैं।

“शादी तभी करूंगा जब वह IPS बनेगी” – राहुल

कांवड़ यात्रा के दौरान मंगलवार को बड़ौत पहुंचे राहुल ने कहा,

> "मैं उसी दिन शादी करूंगा, जिस दिन मेरी प्रेमिका IPS बनकर निकलेगी। भोलेनाथ से यही प्रार्थना है कि उसका सपना जरूर पूरा हो।"

साथ निभा रहा है दोस्त

राहुल के इस भावनात्मक और तपस्वी सफर में उनका दोस्त नंदलाल बाइक से साथ चल रहा है। दोनों बोल बम के जयकारों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सावन के महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ के बीच राहुल की यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

भक्ति में समर्पण और प्रेम की मिसाल

कांवड़ मार्ग पर चल रहे अन्य यात्रियों ने राहुल की भावना को खूब सराहा। उसकी भक्ति, संकल्प और प्रेम का मेल कई लोगों को प्रेरित कर रहा है। राहुल का मानना है,

> "जब मकसद पवित्र हो, तो कठिन रास्ते भी आसान लगते हैं। भोलेनाथ सब देख रहे हैं, वह जरूर कृपा करेंगे।"

बुधवार, 9 जुलाई 2025

कटनी में पासपोर्ट कार्यालय खोलने की माँग पर हाईकोर्ट सख्त , समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा 'अंशु ' की जनहित याचिका पर विदेश मंत्रालय समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी

कटनी। जिले में पासपोर्ट कार्यालय खोलने की माँग को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा अंशु द्वारा दाखिल की गई है, जिन्होंने कटनी को एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन, व्यापारिक केंद्र और जनसंख्या की दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला बताते हुए यह मांग रखी है।

याचिका में कहा गया है कि कटनी सहित आसपास के जिलों के नागरिकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जबलपुर या रीवा जैसे दूरस्थ जिलों की यात्रा करनी पड़ती है, जिससे समय, श्रम और धन की भारी बर्बादी होती है। यह स्थिति आमजन विशेषकर छात्रों, श्रमिकों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बनती है।

याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी अधिवक्ता योगेश सोनी ने पक्ष रखा। मामले पर सुनवाई करते हुए माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने भारत सरकार, विदेश मंत्रालय एवं अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने आशा जताई है कि जल्द ही कटनी को पासपोर्ट कार्यालय की सुविधा प्राप्त होगी, जिससे जिले के लाखों नागरिकों को राहत मिलेगी।

मानव अधिकार आयोग सख्त कलेक्टर से मांगा जवाब , कटनी में अधूरा पुल बना मौत का रास्ता, स्कूली बच्चों की जान रोज़ दांव पर!

कटनी - बरनमहगवा–खितौली मार्ग इन दिनों किसी निर्माण परियोजना से ज़्यादा, जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई बन चुका है। बरसात के दिनों में इस अधूरे पुल के कारण नन्हे स्कूली बच्चों को हर रोज़ तेज़ बहाव और कीचड़ से भरे रास्ते को पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है।

यह गंभीर स्थिति जब स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में छाई, तो मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस मामले को मानवाधिकार उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया। आयोग के कड़े रुख के बाद अब स्थानीय प्रशासन पर जवाबदेही का दबाव साफ़ दिखने लगा है।

स्थानीय मीडिया में गूंजा बच्चों का दर्द, आयोग ने तत्काल लिया संज्ञान

प्रदेश के कई स्थानीय मीडिया ने  जब यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया , तो आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव कुमार टंडन ने बच्चों की सुरक्षा और जीवन के अधिकार को गंभीरता से लेते हुए इस पर तत्काल संज्ञान लिया।

आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संविधान प्रदत्त अधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

 "हर रोज़ डर के साए में जीते हैं": अभिभावकों की पीड़ा, तंत्र पर सवाल

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि पुल निर्माण का कार्य वर्षों से अधूरा पड़ा है, और वर्तमान में उसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि इसका पूर्ण होना दूर की बात लगती है।

एक ग्रामीण अभिभावक की भावुक प्रतिक्रिया रही,

> “बच्चों को स्कूल भेजते हुए दिल बैठ जाता है... पानी का बहाव तेज होता है, रास्ता दलदली हो चुका है, और कोई सुरक्षा नहीं है।”

यह स्थिति बच्चों के Right to Life and Education के सीधे हनन की श्रेणी में आती है।

 आयोग ने मांगा जवाब: कलेक्टर को एक माह में देना होगा प्रतिवेदन

आयोग ने इस मामले में कटनी कलेक्टर से अगले बत्तीस दिनों के भीतर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है। आयोग द्वारा पूछे गए प्रमुख प्रश्नों में शामिल हैं:

पुल निर्माण की वर्तमान प्रगति और तय समयसीमा

अब तक हुए विलंब के तकनीकी या प्रशासनिक कारण

बच्चों व ग्रामीणों की सुरक्षा हेतु की गई वैकल्पिक व्यवस्थाएं

 

- प्रशासन पर बढ़ा दबाव, ग्रामीणों में उबाल

मानवाधिकार आयोग के संज्ञान के बाद, प्रशासन के लिए अब कार्रवाई से बचना कठिन होता जा रहा है। ग्रामीणों में सरकार और ठेकेदार की अनदेखी को लेकर गहरा आक्रोश है।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि इसी तरह देरी होती रही तो किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है — और तब ज़िम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं होगा।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है:

क्या बच्चों की सुरक्षा की कीमत प्रशासनिक फाइलों में गुम होती रहेगी? या अब सरकार और प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल व ठोस निर्णय लेकर आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रास्ता और विश्वास का निर्माण करेंगे?

कटनी के जगन्नाथ मंदिर में ट्रस्ट की 'धार्मिक लूट' का पर्दाफाश! फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों से किया ट्रस्ट पर कब्जा, 7 के खिलाफ एफआईआर

कटनी।  ज़िले के ऐतिहासिक और श्रद्धा के प्रतीक श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर अब एक धार्मिक षड्यंत्र और ट्रस्ट कब्जा कांड का केंद्र बन चुका है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों, जाली हस्ताक्षरों और ट्रस्टी पदों पर अवैध कब्ज़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मंदिर के कथित अध्यक्ष, पुजारी और अन्य सदस्यों सहित 7 आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल भक्तों की आस्था को झकझोरा है, बल्कि धार्मिक संस्थाओं की पारदर्शिता पर भी गहरा सवाल खड़ा किया है।

    'कूटरचना की साजिश': ट्रस्टियों को हटाकर बनाए गए फर्ज़ी पदाधिकारी!

काफी समय से मंदिर के ट्रस्ट संचालन को लेकर कानाफूसी जारी थी, लेकिन अब आरोपों को दस्तावेजी पुष्टि मिलने लगी है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि कुछ लोगों ने सुनियोजित तरीके से फर्जी हस्ताक्षर व नामों के सहारे खुद को ट्रस्ट का सदस्य और पदाधिकारी घोषित कर दिया।

असली ट्रस्टियों को दरकिनार कर ट्रस्ट की बागडोर हथिया ली गई, जो सीधे तौर पर एक धार्मिक संस्था की विश्वसनीयता और कानूनी वैधता पर हमला माना जा रहा है।

 कोर्ट का सख्त रुख: पुलिस को दिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश

शिकायतों और साक्ष्यों को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय न्यायालय ने प्राथमिक तौर पर इसे आपराधिक षड्यंत्र मानते हुए पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।

यह फैसला न्यायपालिका का एक सख्त संदेश है कि धार्मिक संस्थानों में फर्ज़ीवाड़ा और जालसाज़ी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

 इन चेहरों पर FIR: अध्यक्ष से पुजारी तक नामजद आरोपी

कटनी कोतवाली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में निम्न 7 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है:

1. प्रमोद सरावगी (कथित अध्यक्ष)

2. रजनीश पटेल (उपाध्यक्ष)

3. विजय प्रताप सिंह (सचिव)

4. शिशिर टुडहा (कोषाध्यक्ष)

5. नरेश अग्रवाल (सदस्य) 

6.शिवकुमार सोनी (सदस्य)

7. चंद्रिका प्रसाद दुबे (सदस्य)

इन सभी पर IPC की धाराओं — 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाज़ी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाज़ी), 471 (फर्ज़ी दस्तावेज़ का उपयोग) और 120-B (आपराधिक साजिश) — के तहत मामला दर्ज किया गया है।

जांच का दायरा बढ़ा: हो सकते हैं और बड़े खुलासे!

पुलिस ने मामले की बारीकी से जांच शुरू कर दी है। दस्तावेज़ों की फोरेंसिक जांच, बैंक खातों, भूमि अभिलेख, और ट्रस्ट की बैठकों के मिनट्स खंगाले जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, यह केवल ट्रस्ट कब्जे की कोशिश नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक घोटाले की कड़ी भी हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि जांच के दौरान कुछ और नाम, और भी बड़े धार्मिक और प्रशासनिक चेहरों के उजागर होने की उम्मीद है।

जनता में नाराज़गी, प्रशासन चौकन्ना

इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय श्रद्धालुओं में रोष है, और लोग मंदिर की गरिमा को लेकर चिंतित हैं। प्रशासन भी अब सक्रिय हो गया है और पूरे मामले की गंभीर निगरानी कर रहा है।

 क्या अब मंदिरों के ट्रस्ट भी 'साजिश और सत्ता का अखाड़ा' बनते जा रहे हैं?

श्री जगन्नाथ मंदिर का यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या धार्मिक आस्था के केंद्र भी अब सत्ता, स्वार्थ और जालसाज़ी का शिकार बनते जा रहे हैं? न्याय और जांच की प्रक्रिया से यह स्पष्ट होगा कि यह सिर्फ़ ट्रस्ट की लड़ाई है या फिर धार्मिक संपत्तियों की बड़ी लूट का सिरा!

विश्वकर्मा पार्क के पास जर्जर मकान का हिस्सा गिरा , नाश्ते की दुकान बंद होने से टली जनहानि, नगर निगम की लापरवाही पर उठे सवाल

कटनी। नगर निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत विश्वकर्मा पार्क के समीप बुधवार सुबह एक जर्जर मकान का ऊपरी हिस्सा भरभराकर गिर गया। हादसे के वक्त मकान के नीचे स्थित नाश्ते की दुकान बंद थी, जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई। घटना के बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोग सहम गए।

बताया गया कि यह मकान मुख्य सड़क और तिराहे पर स्थित है, जो वर्षों से जर्जर हालत में है। नगर निगम द्वारा इस भवन को लेकर पहले भी तीन से चार बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

वार्ड पार्षद ने मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी नगर निगम और एमपीईबी को दी। उन्होंने बताया कि यह मकान पूरी तरह से खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है और इसके आसपास की बस्तियों के लिए भी खतरा बना हुआ है।

उल्लेखनीय है कि निगमायुक्त निलेश दुबे ने हाल ही में बारिश के मौसम को देखते हुए जर्जर भवनों की पहचान कर प्राथमिकता से कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। बावजूद इसके, संबंधित विभाग की उदासीनता और कार्रवाई में देरी अब लोगों की सुरक्षा पर भारी पड़ती नजर आ रही है।

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि नगर निगम तत्काल इस भवन को गिराकर क्षेत्र को सुरक्षित करे, ताकि भविष्य में कोई जान-माल का नुकसान न हो

मध्य प्रदेश पुलिस का बड़ा फैसला: ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया रील्स पर प्रतिबंध , सिविल ड्रेस में भी ड्यूटी के समय किसी भी तरह की रील या प्रमोशनल वीडियो बनाने पर रोक।

भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया पर रील और वीडियो बनाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए हैं कि वर्दी की गरिमा और विभागीय अनुशासन बनाए रखने के लिए अब कोई भी पुलिसकर्मी ड्यूटी के समय मोबाइल से वीडियो नहीं बनाएगा। इस आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

क्यों लिया गया यह फैसला? पुलिस मुख्यालय के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में कई पुलिसकर्मी वर्दी में अभिनय करते, डांस करते या डायलॉग बोलते हुए सोशल मीडिया पर रील्स बनाते हुए दिखाई दिए हैं। इन गतिविधियों ने विभाग की छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है और इसे अनुशासनहीनता माना गया है।

मुख्य आदेश बिंदु:

 * ड्यूटी के दौरान वीडियो शूटिंग पर पूर्ण प्रतिबंध।

 * वर्दी में सोशल मीडिया रील बनाना पूरी तरह निषेध।

 * सिविल ड्रेस में भी ड्यूटी के समय किसी भी तरह की रील या प्रमोशनल वीडियो बनाने पर रोक।

 * नियम उल्लंघन पर संबंधित अधिकारी की भी जवाबदेही तय की जाएगी।

 * यह आदेश सभी जिलों के एसपी और थाना प्रभारियों को जारी कर दिया गया है।

                यह प्रतिबंध पुलिस अधिनियम और विभागीय आचरण संहिता के तहत लगाया गया है। इन नियमों के अनुसार, कोई भी अधिकारी या कर्मचारी ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकता जिससे सेवा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे। वर्दी में वीडियो बनाना और सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार करना इसी श्रेणी में आता है।

               हाल ही में, महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों के कई ऐसे वायरल वीडियो सामने आए थे, जिनमें वे हथियारों के साथ म्यूजिक पर परफॉर्म करते या वर्दी की पृष्ठभूमि में ट्रेंडिंग ऑडियो का इस्तेमाल करते दिख रहे थे। इन वीडियो को जनता ने भी अनुचित बताया था, जिससे विभाग की आलोचना हुई।

                पुलिस मुख्यालय का यह कदम वर्दी के सम्मान और जिम्मेदारी को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय है। सोशल मीडिया पर लोकप्रियता हासिल करने की होड़ में विभागीय अनुशासन और गरिमा को बनाए रखना बेहद ज़रूरी है, ताकि पुलिस बल की छवि और विश्वसनीयता प्रभावित न हो।