कटनी। ज़िले के ऐतिहासिक और श्रद्धा के प्रतीक श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर अब एक धार्मिक षड्यंत्र और ट्रस्ट कब्जा कांड का केंद्र बन चुका है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों, जाली हस्ताक्षरों और ट्रस्टी पदों पर अवैध कब्ज़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है।
न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मंदिर के कथित अध्यक्ष, पुजारी और अन्य सदस्यों सहित 7 आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल भक्तों की आस्था को झकझोरा है, बल्कि धार्मिक संस्थाओं की पारदर्शिता पर भी गहरा सवाल खड़ा किया है।
'कूटरचना की साजिश': ट्रस्टियों को हटाकर बनाए गए फर्ज़ी पदाधिकारी!
काफी समय से मंदिर के ट्रस्ट संचालन को लेकर कानाफूसी जारी थी, लेकिन अब आरोपों को दस्तावेजी पुष्टि मिलने लगी है। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि कुछ लोगों ने सुनियोजित तरीके से फर्जी हस्ताक्षर व नामों के सहारे खुद को ट्रस्ट का सदस्य और पदाधिकारी घोषित कर दिया।
असली ट्रस्टियों को दरकिनार कर ट्रस्ट की बागडोर हथिया ली गई, जो सीधे तौर पर एक धार्मिक संस्था की विश्वसनीयता और कानूनी वैधता पर हमला माना जा रहा है।
कोर्ट का सख्त रुख: पुलिस को दिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश
शिकायतों और साक्ष्यों को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय न्यायालय ने प्राथमिक तौर पर इसे आपराधिक षड्यंत्र मानते हुए पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।
यह फैसला न्यायपालिका का एक सख्त संदेश है कि धार्मिक संस्थानों में फर्ज़ीवाड़ा और जालसाज़ी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इन चेहरों पर FIR: अध्यक्ष से पुजारी तक नामजद आरोपी
कटनी कोतवाली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में निम्न 7 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है:
1. प्रमोद सरावगी (कथित अध्यक्ष)
2. रजनीश पटेल (उपाध्यक्ष)
3. विजय प्रताप सिंह (सचिव)
4. शिशिर टुडहा (कोषाध्यक्ष)
5. नरेश अग्रवाल (सदस्य)
6.शिवकुमार सोनी (सदस्य)
7. चंद्रिका प्रसाद दुबे (सदस्य)
इन सभी पर IPC की धाराओं — 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाज़ी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाज़ी), 471 (फर्ज़ी दस्तावेज़ का उपयोग) और 120-B (आपराधिक साजिश) — के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जांच का दायरा बढ़ा: हो सकते हैं और बड़े खुलासे!
पुलिस ने मामले की बारीकी से जांच शुरू कर दी है। दस्तावेज़ों की फोरेंसिक जांच, बैंक खातों, भूमि अभिलेख, और ट्रस्ट की बैठकों के मिनट्स खंगाले जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह केवल ट्रस्ट कब्जे की कोशिश नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक घोटाले की कड़ी भी हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि जांच के दौरान कुछ और नाम, और भी बड़े धार्मिक और प्रशासनिक चेहरों के उजागर होने की उम्मीद है।
जनता में नाराज़गी, प्रशासन चौकन्ना
इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय श्रद्धालुओं में रोष है, और लोग मंदिर की गरिमा को लेकर चिंतित हैं। प्रशासन भी अब सक्रिय हो गया है और पूरे मामले की गंभीर निगरानी कर रहा है।
क्या अब मंदिरों के ट्रस्ट भी 'साजिश और सत्ता का अखाड़ा' बनते जा रहे हैं?
श्री जगन्नाथ मंदिर का यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या धार्मिक आस्था के केंद्र भी अब सत्ता, स्वार्थ और जालसाज़ी का शिकार बनते जा रहे हैं? न्याय और जांच की प्रक्रिया से यह स्पष्ट होगा कि यह सिर्फ़ ट्रस्ट की लड़ाई है या फिर धार्मिक संपत्तियों की बड़ी लूट का सिरा!
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