जबलपुर: पूर्व आरटीओ वर्तमान कटनी RTO संतोष पाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) द्वारा दी गई खात्मा रिपोर्ट अब कोर्ट की नजर में संदिग्ध हो गई है। कोर्ट ने रिपोर्ट पर उठी आपत्तियों को गंभीर मानते हुए ईओडब्ल्यू से बिंदुवार जवाब मांगा है। रिपोर्ट तैयार करने वाले तत्कालीन ईओडब्ल्यू एसपी आर.डी. भारद्वाज और आईजी सुनील पाटीदार की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं।
रिपोर्ट को अधूरी और पक्षपाती बताया गया
अधिवक्ता राजा कुकरेजा व स्वप्निल सराफ द्वारा आपत्तियां दाखिल कर आरोप लगाया गया कि ईओडब्ल्यू ने जानबूझकर अधूरी और पक्षपाती रिपोर्ट तैयार की, जिससे आरोपी को करोड़ों का फायदा हुआ। वकील विजय श्रीवास्तव ने अदालत में दलील दी कि रिपोर्ट में संतोष पाल की करोड़ों की संपत्तियों का सही मूल्यांकन न कर, आंकड़े छिपाकर न्याय प्रक्रिया से छेड़छाड़ की गई है।
ईओडब्ल्यू अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि तत्कालीन एसपी और आईजी स्तर के अधिकारियों ने जांच को प्रभावित किया। 1.95 करोड़ की इनवेंट्री को छुपाया गया, शताब्दीपुरम के चार भूखंडों में से केवल दो का उल्लेख किया गया, जबकि पांच मंजिला भवन को दो मंजिला बताया गया। फर्जी किरायेदार अनुबंध प्रस्तुत कर आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।
कोर्ट ने खात्मा रिपोर्ट की निरस्तीकरण के आदेश दिए
कोर्ट ने खात्मा रिपोर्ट को निरस्त कर ईओडब्ल्यू को निर्देश दिए हैं कि सभी आपत्तियों पर विस्तृत और बिंदुवार जवाब 29 जुलाई 2025 तक प्रस्तुत करें। साथ ही आवेदकों द्वारा पेश दस्तावेजों की प्रतियां भी ईओडब्ल्यू को सौंपी गई हैं, ताकि वे हर आरोप का जवाब दे सकें।
निष्पक्ष जांच की मांग
शिकायतकर्ता पक्ष ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच दोबारा कराई जाए। वकील विजय श्रीवास्तव ने कहा कि करोड़ों की संपत्तियों का गलत आकलन ईओडब्ल्यू अधिकारियों की मिलीभगत का प्रमाण है। एजेंसी की साख और कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।
अगली सुनवाई 29 जुलाई को
मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी, जहां ईओडब्ल्यू को अपनी सफाई पेश करनी है। कोर्ट के रुख को देखते हुए मामले के नए मोड़ लेने की संभावना है।
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