शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

हत्या कर हाथ-पैर बांधकर फेंका था युवक का शव, मर्ग जांच में खुला राज , हत्या का प्रकरण दर्ज कर केस डायरी माधवनगर थाना को सौंपी

कटनी, 11 जुलाई। निवार रेलवे स्टेशन के पास 12 जून की रात युवक का क्षत-विक्षत शव ट्रैक पर मिला था, जिसे हादसा मानने की आशंका अब पूरी तरह खारिज हो चुकी है। जीआरपी की मर्ग जांच में पुष्टि हुई है कि युवक की बेरहमी से हत्या कर उसके हाथ-पैर बांध दिए गए और फिर शव को रेल ट्रैक पर फेंक दिया गया था।

अब जीआरपी ने हत्या का प्रकरण दर्ज कर केस डायरी माधवनगर थाना को सौंप दी है, जो अब हत्यारों की तलाश में जुटेगी।

एक माह पुरानी है वारदात, हत्या का शक अब साफ

यह सनसनीखेज मामला 12 जून की रात लगभग 2 बजे सामने आया, जब निवार स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर जबलपुर रेलमार्ग पर एक शव की सूचना पुलिस को मिली। मौके पर पहुंची टीम ने करीब एक घंटे तक ट्रैक पर चलकर क्षत-विक्षत शव को ढूंढा। हाथ-पैर रस्सी से बंधे होने के कारण शुरू से ही हत्या की आशंका जताई जा रही थी।

मृतक की पहचान ग्राम घुघरा निवासी सुनील प्यासी (35) के रूप में हुई।
परिजनों ने बताया कि सुनील 12 जून को शाम करीब 4 बजे ट्रैक्टर लेकर घर से निकला था, लेकिन रातभर कोई संपर्क नहीं हो पाया। देर रात पुलिस ने परिजनों को शव मिलने की सूचना दी।

घटना रेलवे ट्रैक पर नहीं, गांव में शुरू हुआ था विवाद

मर्ग जांच में सामने आया है कि हत्या की नींव रेलवे ट्रैक क्षेत्र से पहले घुघरा गांव में ही रखी गई थी, जहां किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद युवक की हत्या कर उसका शव रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया ताकि यह दुर्घटना लगे।

जीआरपी ने मामला गंभीरता से लेते हुए शून्य पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया और साक्ष्य संकलित कर अपराध डायरी माधवनगर थाना को सौंप दी है। अब इस मामले की आगे की जांच माधवनगर पुलिस करेगी।


बरही में महिला की हत्या करने वाले को आजीवन कारावास , चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाया फैसला

कटनी - बरही थाना क्षेत्र में एक महिला की हत्या कर शव झाड़ियों में फेंकने वाले आरोपी भैय्यालाल उर्फ नीरज पाल को माननीय चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कटनी ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी को धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास और 1000 रुपये जुर्माना, वहीं धारा 201 में तीन साल सश्रम कारावास व 500 रुपये जुर्माना भी दिया गया। मामले में पैरवी विशेष लोक अभियोजक/सहायक निदेशक अभियोजन श्री रामनरेश गिरि द्वारा की गई।

दिनांक 7 दिसंबर 2021 को बरही क्षेत्र के कब्रिस्तान के पास झाड़ियों में एक अज्ञात महिला का शव मिलने की सूचना मिली थी। शव करीब 22-25 वर्षीया महिला का था और उसके कपड़े थोड़ी दूरी पर पड़े थे। मोहम्मद शकूर द्वारा दी गई सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और मर्ग क्रमांक 129/21 दर्ज कर जांच शुरू की गई।

मामले की गहन जांच निरीक्षक संदीप अयाची द्वारा की गई। मृतका की पहचान सीमा पाल के रूप में हुई, जिसकी पुष्टि पिता रामसिया पाल ने की। बाद में आरोपी भैय्यालाल उर्फ नीरज पाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर घटना के समय पहने कपड़े, मोबाइल सहित अन्य सामान बरामद किया।

पुलिस ने सीडीआर व मोबाइल लोकेशन, डीएनए रिपोर्ट, और गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी के खिलाफ सशक्त साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए। वैज्ञानिक व तकनीकी साक्ष्यों से यह सिद्ध हो गया कि आरोपी ने महिला की हत्या कर सबूत मिटाने की कोशिश की थी।

विशेष लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत तर्कों और साक्ष्यों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में थाना बरही, विवेचक, पुलिस अधीक्षक और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के समन्वय व तेजी से कार्यवाही करने पर न्यायालय ने भी संतोष व्यक्त किया।


SP कटनी ने दिखाई सख्ती, ड्यूटी में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त , न्यायालय से फरार आरोपी के मामले में आरक्षक की वेतनवृद्धि रोकी

कटनी, 11 जुलाई। ढीमरखेड़ा न्यायालय परिसर से पेशी के दौरान एक आरोपी के फरार हो जाने की घटना पुलिस विभाग के लिए भारी पड़ गई। मामले में ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर कटनी पुलिस अधीक्षक अभिनय विश्वकर्मा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए आरक्षक कमोद कोल की एक वर्ष की वेतनवृद्धि रोक दी है।

यह मामला थाना ढीमरखेड़ा के अपराध क्रमांक 155/25 से जुड़ा है। आरोपी बल्लू सिंह पिता श्यामले सिंह, निवासी ढीमरखेड़ा, पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 296, 115(2), 118(1), 118(2), 351(3) व 25 आर्म्स एक्ट के तहत  मामला दर्ज था।आरोपी को 22 जून 2025 को न्यायालय में पेश किया गया था, लेकिन वह आरक्षक को चकमा देकर फरार हो गया।

घटना के बाद मामले की विभागीय जांच करवाई गई, जिसमें आरक्षक कमोद कोल की ड्यूटी में स्पष्ट लापरवाही सामने आई। जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस अधीक्षक ने कड़ी कार्रवाई करते हुए आरक्षक की एक साल की वेतनवृद्धि रोके जाने का आदेश जारी किया है।

“पुलिस विभाग में अनुशासन सर्वोपरि है। ड्यूटी में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

यह घटना एक बार फिर पुलिस विभाग में जवाबदेही और सतर्कता की आवश्यकता को उजागर करती है, खासकर उन परिस्थितियों में जब न्यायिक प्रक्रियाएं प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती हैं।


👉 कटनी - "भाजपा का महापौर, भाजपा का पार्षद और भाजपा के आधीन नगर निगम.. फिर भी जलभराव और गंदे नाले के पानी से जाम सड़कों में फंस रहे स्कूली बच्चे!"

कटनी - शहर में एक बार फिर नगर निगम की लापरवाही सामने आई है। बारिश क्या हुई, जोबियल पब्लिक स्कूल के सामने संतनगर कॉलोनी की सड़कें नालों में तब्दील हो गईं। कीचड़, बदबू और गंदे पानी में से होकर स्कूली बच्चों को गुजरना पड़ रहा है।

कटनी नगर निगम पर सत्ताधारी भाजपा का कब्ज़ा है — महापौर भाजपा से, पार्षद भाजपा से... बावजूद इसके नगर निगम की नालों की सफाई व्यवस्था बुरी तरह फेल हो गई है।

जोबियल पब्लिक स्कूल के सामने संतनगर कॉलोनी की सड़कों पर गंदे नालों का पानी बह रहा है। कॉलोनी तालाब बन गई है और स्कूली बच्चे पानी में जूझते हुए स्कूल पहुँचने को मजबूर हैं।

स्थानीय रहवासी बताते हैं कि कई बार शिकायत करने के बाद भी न तो सफाई हुई, न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचा।

लोगों का कहना है कि

> “बच्चे स्कूल से लौटते हैं तो जूते उतारकर पैदल पानी पार करना पड़ता है। कई बार बच्चे गिर भी चुके हैं, पर नगर निगम को कोई फर्क नहीं पड़ता।”

यह दृश्य न सिर्फ असुविधा का प्रतीक है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

स्थानीयों की मांग:

रहवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही जलनिकासी की व्यवस्था नहीं की गई और नालों की सफाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करेंगे।

भाजपा शासित नगर निगम में व्यवस्था की पोल खुल चुकी है। सवाल यह है कि जब हर स्तर पर भाजपा का प्रतिनिधि मौजूद है, फिर शहर की सड़कों पर यह बदहाली क्यों?

गुरुवार, 10 जुलाई 2025

"कांवड़ में भक्ति और दिल में सपना: राहुल की प्रेमिका बने IPS, इसी कामना में उठाया 121 लीटर गंगाजल"

बागपत। सावन में शिवभक्ति और प्रेम का ऐसा संगम बहुत कम देखने को मिलता है। उत्तर प्रदेश के बड़ौत-मुजफ्फरनगर कांवड़ मार्ग पर इस बार एक अनोखी श्रद्धा और प्रेम की कहानी सबका ध्यान खींच रही है। दिल्ली के नरेला निवासी शिवभक्त राहुल कुमार ने हरिद्वार से 121 लीटर गंगाजल की कांवड़ उठाई है — वह भी एक खास संकल्प के साथ।

राहुल खुद इंटर पास हैं, लेकिन उन्होंने संकल्प लिया है कि जब तक उनकी प्रेमिका IPS अधिकारी नहीं बनती, वह हर साल कांवड़ लाते रहेंगे। राहुल की प्रेमिका फिलहाल इंटरमीडिएट पास कर चुकी है और सिविल सेवा की तैयारी कर रही है।

राहुल की यह चौथी कांवड़ यात्रा है। इससे पहले वह 101 लीटर की कांवड़ ला चुके हैं। इस बार उन्होंने प्रेमिका की सफलता की कामना करते हुए 121 लीटर जल उठाया है और करीब 220 किलोमीटर का कठिन सफर तय कर रहे हैं।

“शादी तभी करूंगा जब वह IPS बनेगी” – राहुल

कांवड़ यात्रा के दौरान मंगलवार को बड़ौत पहुंचे राहुल ने कहा,

> "मैं उसी दिन शादी करूंगा, जिस दिन मेरी प्रेमिका IPS बनकर निकलेगी। भोलेनाथ से यही प्रार्थना है कि उसका सपना जरूर पूरा हो।"

साथ निभा रहा है दोस्त

राहुल के इस भावनात्मक और तपस्वी सफर में उनका दोस्त नंदलाल बाइक से साथ चल रहा है। दोनों बोल बम के जयकारों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सावन के महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ के बीच राहुल की यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

भक्ति में समर्पण और प्रेम की मिसाल

कांवड़ मार्ग पर चल रहे अन्य यात्रियों ने राहुल की भावना को खूब सराहा। उसकी भक्ति, संकल्प और प्रेम का मेल कई लोगों को प्रेरित कर रहा है। राहुल का मानना है,

> "जब मकसद पवित्र हो, तो कठिन रास्ते भी आसान लगते हैं। भोलेनाथ सब देख रहे हैं, वह जरूर कृपा करेंगे।"

बुधवार, 9 जुलाई 2025

कटनी में पासपोर्ट कार्यालय खोलने की माँग पर हाईकोर्ट सख्त , समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा 'अंशु ' की जनहित याचिका पर विदेश मंत्रालय समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी

कटनी। जिले में पासपोर्ट कार्यालय खोलने की माँग को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा अंशु द्वारा दाखिल की गई है, जिन्होंने कटनी को एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन, व्यापारिक केंद्र और जनसंख्या की दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला बताते हुए यह मांग रखी है।

याचिका में कहा गया है कि कटनी सहित आसपास के जिलों के नागरिकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जबलपुर या रीवा जैसे दूरस्थ जिलों की यात्रा करनी पड़ती है, जिससे समय, श्रम और धन की भारी बर्बादी होती है। यह स्थिति आमजन विशेषकर छात्रों, श्रमिकों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बनती है।

याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी अधिवक्ता योगेश सोनी ने पक्ष रखा। मामले पर सुनवाई करते हुए माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने भारत सरकार, विदेश मंत्रालय एवं अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा अंशु ने आशा जताई है कि जल्द ही कटनी को पासपोर्ट कार्यालय की सुविधा प्राप्त होगी, जिससे जिले के लाखों नागरिकों को राहत मिलेगी।

मानव अधिकार आयोग सख्त कलेक्टर से मांगा जवाब , कटनी में अधूरा पुल बना मौत का रास्ता, स्कूली बच्चों की जान रोज़ दांव पर!

कटनी - बरनमहगवा–खितौली मार्ग इन दिनों किसी निर्माण परियोजना से ज़्यादा, जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई बन चुका है। बरसात के दिनों में इस अधूरे पुल के कारण नन्हे स्कूली बच्चों को हर रोज़ तेज़ बहाव और कीचड़ से भरे रास्ते को पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है।

यह गंभीर स्थिति जब स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में छाई, तो मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस मामले को मानवाधिकार उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया। आयोग के कड़े रुख के बाद अब स्थानीय प्रशासन पर जवाबदेही का दबाव साफ़ दिखने लगा है।

स्थानीय मीडिया में गूंजा बच्चों का दर्द, आयोग ने तत्काल लिया संज्ञान

प्रदेश के कई स्थानीय मीडिया ने  जब यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया , तो आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव कुमार टंडन ने बच्चों की सुरक्षा और जीवन के अधिकार को गंभीरता से लेते हुए इस पर तत्काल संज्ञान लिया।

आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संविधान प्रदत्त अधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

 "हर रोज़ डर के साए में जीते हैं": अभिभावकों की पीड़ा, तंत्र पर सवाल

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि पुल निर्माण का कार्य वर्षों से अधूरा पड़ा है, और वर्तमान में उसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि इसका पूर्ण होना दूर की बात लगती है।

एक ग्रामीण अभिभावक की भावुक प्रतिक्रिया रही,

> “बच्चों को स्कूल भेजते हुए दिल बैठ जाता है... पानी का बहाव तेज होता है, रास्ता दलदली हो चुका है, और कोई सुरक्षा नहीं है।”

यह स्थिति बच्चों के Right to Life and Education के सीधे हनन की श्रेणी में आती है।

 आयोग ने मांगा जवाब: कलेक्टर को एक माह में देना होगा प्रतिवेदन

आयोग ने इस मामले में कटनी कलेक्टर से अगले बत्तीस दिनों के भीतर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है। आयोग द्वारा पूछे गए प्रमुख प्रश्नों में शामिल हैं:

पुल निर्माण की वर्तमान प्रगति और तय समयसीमा

अब तक हुए विलंब के तकनीकी या प्रशासनिक कारण

बच्चों व ग्रामीणों की सुरक्षा हेतु की गई वैकल्पिक व्यवस्थाएं

 

- प्रशासन पर बढ़ा दबाव, ग्रामीणों में उबाल

मानवाधिकार आयोग के संज्ञान के बाद, प्रशासन के लिए अब कार्रवाई से बचना कठिन होता जा रहा है। ग्रामीणों में सरकार और ठेकेदार की अनदेखी को लेकर गहरा आक्रोश है।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि इसी तरह देरी होती रही तो किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है — और तब ज़िम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं होगा।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है:

क्या बच्चों की सुरक्षा की कीमत प्रशासनिक फाइलों में गुम होती रहेगी? या अब सरकार और प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल व ठोस निर्णय लेकर आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रास्ता और विश्वास का निर्माण करेंगे?