रविवार, 16 जनवरी 2022

खुद को परियोजना अधिकारी बता लोगो के साथ कर रहा था ठगी, पुलिस ने कार्यवाही कर आरोपी से जब्त किया साढ़े सात लाख का मशरूका।

कटनी -: पुलिस के हाथ एक ऐसा आरोपी लगा है जो खुद को आवास परियोजना अधिकारी बताकर लोगो को आवास आवंटन करवाने के नाम पर बायोमेट्रिक मशीन में अंगूठा लगवाकर उनके बैंक खाते से पैसे उड़ाने का काम करता था। ये आरोपी बड़े ही हाईप्रोफाइल तरीके से काम करता था। इसके लिए वो गांव के ज्यादातर सीधे सादे लोगो को निशाना बनाकर उनके पास पहुंचता और आवास आवंटन करवाने के नाम पर आधार कार्ड लेकर बायोमैट्रिक थम मशीन पर अंगूठा लगवाता और उनके बैक खाते से पैसे को किसी एकाउंट में पलटी कर देता...। कोई इस पर शक न करे इसके लिए ये खुद को मानवाधिकार का हिस्सा व पत्रकार बताया करता था। लेकिन इस ठग का खुलासा तब हुआ जब कुठला थाना क्षेत्र के हरिमोहन गौतम नामक बुजुर्ग ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे।

            पीड़ित हरिमोहन गौतम ने बताया कि एक व्यक्ति मिला जो खुद को आवास परियोजना अधिकारी बता रहा था बोला मैं तुमको आवास आवंटित करवा दूंगा इसके लिए आधारकार्ड ले आओ। जिसके बाद मैं आधारकार्ड दिया और उसने थम मशीन से मेरा अंगूठा ले लिया जिसके कुछ मिनट बाद ही मेरे बैंक खाते से 10हजार उड़ गए। जिसकी शिकायत मेरे द्वारा कुठला थाने पर कराई है। 

               पूरे मामले पर प्रेसवार्ता करते हुए पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार जैन ने बताया हमने एक व्यक्ति को पकड़ा है जिसका नाम ज्ञानीश सोनी बताया गया ये शख्स अधिकारी बनकर लोगो के बीच जाता और योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर आधारकार्ड लेता ओर थम मशीन पर अंगूठा लगवाकर उनके खाते से पैसे उड़ा लेता। ऐसी ही शिकायत हरिमोहन गौतम ने दर्ज करवाई जिसके बाद हमने आरोपी को गिरफ्तार कर उससे 90हजार नगद, कार, चैनल की आईडी, माइक, मानवाधिकार से जुड़े फर्जी कागजात भी मिले है। आपको बता दे आरोपी ने कई जिलों में इसी तरह की घटना को अंजाम दिया है वही पूर्व में लोगो की नौकरी लगवाने के नाम पर पैसा लिया करता था। फिलहाल पुलिस ने आरोपी पर 420 के तहत मामला दर्जकर न्यायालय में पेश किया है।

बड़ी घटना - बस और ट्रक में भिड़ंत , घायलों का जिला अस्पताल में इलाज जारी

कटनी - कुठला थाना क्षेत्र अंतर्गत चाका में बड़े हनुमान जी मंदिर के पास बस और ट्रक की भिड़ंत  हो जाने से 7लोग घायल जिसमे 2 गंभीर बताये जा रहे हैं। 

कुठला पुलिस मौके से घायलों को लेकर  उपचार हेतु जिला अस्पताल पहुँची।।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

कुंडली में भकूट दोष क्या कहलाता है ,भकूट दोष का दाम्पत्य जीवन पर प्रभाव

कुंडली में भकूट दोष क्या कहलाता है 

कुंडली में चंद्रमा 6-8, 9-5 या 2-12 का संयोजन कर रहा हो, तब भकूट दोष बनता है। अगर वर की चंद्र राशि मेष है, और महिला का कन्या है, तब 6-8 का भकूट दोष बनता है, क्योंकि महिला की चंद्र राशि पुरूष की चंद्र राशि से षष्टम और पुरूष की चंद्र राशि महिला की चंद्र राशि से अष्टम पर होती है। इसी तरह का भकूट दोष चंद्र राशि के 9-5 और 2-12 संयोजन के लिए भी माना जाता है। 6-8 का भकूट दोष शादी शुदा जोड़ो के लिए स्वास्थ्य की गंभीर समस्या पैदा कर सकता है, 9-5 का भकूट दोष संतान की समस्या का कारण होता है, और 2-12 का भकूट दोष वित्तीय समस्याएं पैदा करता है।

कुंडली मिलान के क्रम में यदि भकूट दोष बन रहा है तो शादी नहीं करने के लिए सलाह देते हैं।

 हालांकि केवल एक दोष के आधार पर कभी भी शादी न करने की सलाह नहीं देनी चाहिए क्योकि ऐसे अनेक दम्पति है जो मेरे पास आते है जिनके कुंडली में भकूट दोष है फिर भी सुखमय दाम्पत्य जीवन व्यतीत कर रहे है। अतः विवाह आदि के लिए कुंडली मिलान की प्रक्रिया में केवल गुण मिलान कर लेना ही पर्याप्त नहीं है यदि कोई ज्योतिषी ऐसा करते है तो यह उचित नहीं है सॉफ्टवेयर के आधार पर कुण्डली मिलान नही करना चाहिए,और न ही बताना चाहिए ऐसा करने से ही ज्योतिषी के प्रति अविश्वास पैदा होता है। अतः विवाह के सम्बन्ध में कोई निर्णय लेने से पहले लड़का और लड़की की कुंडली में ग्रहो की स्थिति, उच्च, नीच, योग व संतान योग कैसा है इस पर विचार करके ही शादी करने और न करने का सलाह देनी चाहिए।

*भकूट दोष का दाम्पत्य जीवन पर प्रभाव-*

कुंडली मिलान में तीन प्रकार से भकूट दोष बनता है जिसकी चर्चा ऊपर की गई है।

 षडा -अष्टक 6/8 भकूट दोष होने से वर-वधू में से एक की मृत्यु हो जाती है या आपस में लड़ाई झगड़ा होते रहता है।

 नवम-पंचम ( 9/5) भकूट दोष होने से संतान की हानि होती है या संतान के जन्म में मुश्किल आती है या फिर संतान होती ही नहीं।

 द्वी-द्वादश ( 2/12) भकूट दोष होने से वर-वधू को निर्धनता का सामना करना पड़ता या दोनों बहुत ही खर्चीले होते है।

*भकूट दोष का परिहार-*

भकूट मिलान में तीन प्रकार के दोष होते हैं, जैसे षडाष्टक दोष, नव-पंचम दोष और द्वि-द्वादश दोष होता है, इन तीनों ही दोषों का परिहार भी हो जाता है।

 *षडाष्टक दोष का परिहार*

यदि वर-वधु की मेष/वृश्चिक, वृष/तुला, मिथुन/मकर, कर्क/धनु, सिंह/मीन या कन्या/कुंभ राशि है तब यह मित्र षडाष्टक होता है अर्थात इन राशियों के स्वामी ग्रह आपस में मित्र होते हैं. मित्र राशियों का षडाष्टक शुभ माना जाता है।

यदि वर-वधु की चंद्र राशि स्वामियों का षडाष्टक शत्रु वैर का है तब इसका परिहार करना चाहिए।

मेष/कन्या, वृष/धनु, मिथुन/वृश्चिक, कर्क/कुंभ, सिंह/मकर तथा तुला/मीन राशियों का आपस में शत्रु षडाष्टक होता है इनका पूर्ण रुप से त्याग करना चाहिए।

यदि तारा शुद्धि, राशियों की मित्रता हो, एक ही राशि हो या राशि स्वामी ग्रह समान हो तब भी षडाष्टक दोष का परिहार हो जाता है।

 नवम पंचम दोष का परिहार-

नवम पंचम दोष का परिहार भी शास्त्रों में दिया गया है, जब वर-वधु की चंद्र राशि एक-दूसरे से 9/5 पर स्थित होती है तब नवम पंचम दोष माना जाता है, नवम पंचम का परिहार निम्न से हो जाता है-

यदि वर की राशि से कन्या की राशि पांचवें स्थान पर पड़ रही हो और कन्या की राशि से लड़के की राशि नवम स्थान पार पड़ रही हो तब यह स्थिति नवम पंचम की शुभ मानी गई है।

मीन/कर्क, वृश्चिक/कर्क, मिथुन/कुंभ और कन्या/मकर यह चारों नव-पंचम दोषों का त्याग करना चाहिए।

यदि वर-वधु की कुंडली के चंद्र राशिश या नवांशपति परस्पर मित्र राशि में हो तब नवम-पंचम का परिहार होता है।

 द्वि- द्वादश दोष का परिहार-

लड़के की राशि से लड़की की राशि दूसरे स्थान पर हो तो लड़की धन की हानि करने वाली होती है लेकिन 12वें स्थान पर हो तब धन लाभ कराने वाली होती है।

द्वि-द्वादश दोष में वर-वधु के राशि स्वामी आपस में मित्र हैं तब इस दोष का परिहार हो जाता है।

सिंह और कन्या राशि द्वि-द्वार्दश होने पर भी इस दोष का परिहार हो जाता है परन्तु इसमें कई ज्योतिषियो का मतभेद है।

कुंडली मिलान का सही तरीका सिर्फ सॉफ्टवेयर पर निर्भर न हो यदि रिश्ता अच्छा है तो दोनों की कुंडली का विश्लेषण अलग अलग करवा लेना ज्यादा उचित है आने वाली महादशा किस ग्रह की है संतान योग कैसा है विवाह के सुख की आयु कितनी है नक्षत्र स्वामी कहा विराजित है । लड़की और लड़के वर्ण मिलान भी के जगह काम कर जाता है ऐसे बहुत सी स्थिति बन ही जाती , परन्तु कुंडली मे यदि जीवनसाथी की आयु कम हो तो सामने वाली कुंडली मे आयु देखे संतान सुख का अभाव है तो वो भी देखना अनिवार्य है।

कुंडली की अधिक *जानकारी के लिए संपर्क करें* 

जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ 

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री 

    9993874848

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

नाबालिग की हत्या मामले में गुमराह परिजनों को पुलिस अधीक्षक की समझाईश ,चारों आरोपियों पर है हत्या का मामला दर्ज

कटनी -: जिले की स्लिमीनाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम धरवारा में 6 जनवरी2022 को घर से लापता हुए नाबालिग बालक की दो दिन बाद लाश ही मिली थी कि पुलिस ने तत्परता मामले की जांच करते हुए आरोपियों को भी खोज निकाला । जिसमे 4 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। हालांकि मामला तब परिजनों व ग्रामीणों के लिए संदेहास्पद हो गया जब पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलवाई और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस ने चार आरोपियों में दो आरोपियों पर ipc के तरह 302 व दो आरोपियों पर ipc की धारा 202 के तरह मामला दर्ज करने की बात जारी कर दी। वही जब पुलिस अधीक्षक से मृतक के परिजनों ने बात की एसपी सुनील जैन से मामला स्पष्ट करते हुए बताया कि चारों आरोपियों पर ipc की धारा  363, 302, 202 व 34 के तहत मामला दर्ज हुआ है किसी भी प्रकार अपवाहों पर मत आए जांच भी 90 दिन चलना है अगर कोई और भी दोषी होता है तो उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा।

जिला न्यायाधीश श्री नोटिया ने किया आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण, कोरोना गाइडलान का पालन करने दिए निर्देश, मास्क का किया वितरण

कटनी -: मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कटनी श्यामाचरण उपाध्याय के मार्गदर्शन में जिला न्यायाधीश, सचिव दिनेश कुमार नोटिया द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र क्र. 153 महाराणा प्रताप वार्ड कटनी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान आंगनबाड़ी केन्द्र के कुछ बच्चे बिना मास्क के पाए गए। सचिव द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व उपस्थित बच्चों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने, मास्क लगाने, सैनेटाईजर या साबुन से एक निश्चित अंतराल पर हाथ धोने और कोरोना संबंधी अन्य महत्वपूर्ण निर्देश प्रदान किए। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उपस्थित बच्चों और कार्यकर्ताओं को मास्क उपलब्ध कराए गए।

इसके साथ ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर द्वारा संचालित योजनाओं के संबंध में विधिक साक्षरता शिविर, जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। जिसमें जिला न्यायाधीश व सचिव श्री नोटिया ने उपस्थित महिलाओं को भरण पोषण, विधि, घरेलु हिंसा, किशोर न्याय अधिनियम, अपराध पीडि़त प्रतिकर योजना, मोटर व्हीकल एक्ट, बच्चों के अधिकार एवं कर्तव्य, निःशुल्क विधिक सहायता से संबंधित जानकारी दी गई। इस दौरान पीएलव्ही मनीषा प्यासी, सुनीता केवट, अजय बुरडे, जिला प्राधिकरण के कर्मचारी सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहीं।

मकर संक्रांति विशेष - मकर संक्रांति और सूर्य उपासना द्वारा अपना जीवन तेजस्वी बना सकते है,

मकर संक्रांति विशेष

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मकर संक्रांति और सूर्य उपासना द्वारा अपना जीवन तेजस्वी बना सकते है,

🚩 मकर संक्रांति नैसर्गिक पर्व है । किसी व्यक्ति के आने-जाने से या किसी के अवतार के द्वारा इस पर्व की शुरुआत नहीं हुई है । प्रकृति में होने वाले मूलभूत परिवर्तन से यह पर्व संबंधित है और प्रकृति की हर चेष्टा व्यक्ति के तन और मन से संबंध रखती है । इस काल में भगवान भास्कर की गति उत्तर की तरफ होती है । अंधकार वाली रात्रि छोटी होती जाती है और प्रकाश वाला दिन बड़ा होता जाता है ।

🚩पुराणों का कहना है कि इन दिनों देवता लोग जागृत होते हैं । मानवीय 6 महीने दक्षिणायन के बीतते हैं, तब देवताओं की एक रात होती है । उत्तरायण के दिन से देवताओं की सुबह मानी जाती है ।

🚩ऋग्वेद में आता है कि सूर्य न केवल सम्पूर्ण विश्व के प्रकाशक, प्रवर्त्तक एवं प्रेरक हैं वरन् उनकी किरणों में आरोग्य वर्धन, दोष-निवारण की अभूतपूर्व क्षमता विद्यमान है । सूर्य की उपासना करने एवं सूर्य की किरणों का सेवन करने से कई प्रकार के शारीरिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक लाभ होते हैं ।

🚩जितने भी सामाजिक एवं नैतिक अपराध हैं वे विशेषरूप से सूर्यास्त के पश्चात अर्थात् रात्रि में ही होते हैं । सूर्य की उपस्थिति मात्र से ही दुष्प्रवृत्तियां नियंत्रित हो जाती हैं । सूर्य के उदय होने से समस्त विश्व में मानव, पशु-पक्षी आदि क्रियाशील होते हैं । यदि सूर्य को विश्व-समुदाय का प्रत्यक्ष देव अथवा विश्व-परिवार का मुखिया कहें तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।

🚩वैसे तो सूर्य की रोशनी सभी के लिए समान होती है परन्तु उपासना करके उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर व्यक्ति सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक उन्नत हो सकता है तथा समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना सकता है ।

🚩सूर्य एक शक्ति है । भारत में तो सदियों से सूर्य की पूजा होती आ रही है । सूर्य तेज और स्वास्थ्य के दाता माने जाते हैं । यही कारण है कि विभिन्न जाति, धर्म एवं सम्प्रदाय के लोग दैवी शक्ति के रूप में सूर्य की उपासना करते हैं ।

🚩सूर्य की किरणों में समस्त रोगों को नष्ट करने की क्षमता विद्यमान है । सूर्य की प्रकाश – रश्मियों के द्वारा हृदय की दुर्बलता एवं हृदय रोग मिटते हैं । स्वास्थ्य, बलिष्ठता, रोगमुक्ति एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए सूर्योपासना करनी ही चाहिए ।

🚩सूर्य नियमितता, तेज एवं प्रकाश के प्रतीक हैं । उनकी किरणें समस्त विश्व में जीवन का संचार करती हैं । भगवान सूर्य नारायण सतत् प्रकाशित रहते हैं । वे अपने कर्त्तव्य पालन में एक क्षण के लिए भी प्रमाद नहीं करते, कभी अपने कर्त्तव्य से विमुख नहीं होते । प्रत्येक मनुष्य में भी इन सदगुणों का विकास होना चाहिए । नियमितता, लगन, परिश्रम एवं दृढ़ निश्चय द्वारा ही मनुष्य जीवन में सफल हो सकता है तथा कठिन परिस्थितियों के बीच भी अपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है ।

🚩सूर्य बुद्धि के अधिष्ठाता देव हैं । सभी मनुष्यों को प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर एक लोटा जल सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए । अर्घ्य देते समय इस बीजमंत्र का उच्चारण करना चाहिएः ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः । इस प्रकार मंत्रोच्चारण के साथ जल देने से तेज एवं बौद्धिक बल की प्राप्ति होती है ।

🚩सूर्योदय के बाद जब सूर्य की लालिमा निवृत्त हो जाय तब सूर्याभिमुख होकर कंबल अथवा किसी विद्युत कुचालक आसन् पर पद्मासन अथवा सुखासन में इस प्रकार बैठें ताकि सूर्य की किरणें नाभि पर पड़े । अब नाभि पर अर्थात् मणिपुर चक्र में सूर्य नारायण का ध्यान करें ।

🚩यह बात अकाट्य सत्य है कि हम जिसका ध्यान, चिन्तन व मनन करते हैं, हमारा जीवन भी वैसा ही हो जाता है । उनके गुण हमारे जीवन में प्रकट होने लगते हैं ।

🚩नाभि पर सूर्यदेव का ध्यान करते हुए यह दृढ़ भावना करें कि उनकी किरणों द्वारा उनके दैवी गुण आप में प्रविष्ट हो रहे हैं । अब बायें नथुने से गहरा श्वास लेते हुए यह भावना करें कि सूर्य किरणों एवं शुद्ध वायु द्वारा दैवीगुण मेरे भीतर प्रविष्ट हो रहे हैं । यथासामर्थ्य श्वास को भीतर ही रोककर रखें । तत्पश्चात् दायें नथुने से श्वास बाहर छोड़ते हुए यह भावना करें कि मेरी श्वास के साथ मेरे भीतर के रोग, विकार एवं दोष बाहर निकल रहे हैं । यहाँ भी यथासामर्थ्य श्वास को बाहर ही रोककर रखें तथा इस बार दायें नथुने से श्वास लेकर बायें नथुने से छोड़ें । इस प्रकार इस प्रयोग को प्रतिदिन दस बार करने से आप स्वयं में चमत्कारिक परिवर्तन महसूस करेंगे । कुछ ही दिनो के सतत् प्रयोग से आपको इसका लाभ दिखने लगेगा । अनेक लोगों को इस प्रयोग से चमत्कारिक लाभ हुआ है ।

🚩सूर्य की रश्मियों में अद्भुत रोगप्रतिकारक शक्ति है । दुनिया का कोई वैद्य अथवा कोई मानवी इलाज उतना दिव्य स्वास्थ्य और बुद्धि की दृढ़ता नहीं दे सकता है, जितना सुबह की कोमल सूर्य-रश्मियों में छुपे ओज-तेज से मिलता है ।

🚩भगवान सूर्य तेजस्वी एवं प्रकाशवान हैं । उनके दर्शन व उपासना करके तेजस्वी व प्रकाशमान बनने का प्रयत्न करें । ऐसे निराशावादी और उत्साहहीन लोग जिनकी आशाएँ, भावनाएँ व आस्थाएँ मर गयी हैं, जिन्हें भविष्य में प्रकाश नहीं, केवल अंधकार एवं निराशा ही दिखती है ऐसे लोग भी सूर्योपासना द्वारा अपनी जीवन में नवचेतन का संचार कर सकते हैं ।

🚩क्या करें मकर संक्रांति को..???

🚩मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है । इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए । कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं।

🚩तिल का महत्व :-

🚩विष्णु धर्मसूत्र में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग करने पर जातक के जीवन में सुख व समृद्धि आती है ।

★ तिल के तेल से स्नान करना ।
★ तिल का उबटन लगाना ।
★ पितरों को तिलयुक्त तेल अर्पण करना।
★ तिल की आहुति देना ।
★ तिल का दान करना ।
★ तिल का सेवन करना।
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जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
         पंडित
मनोज कृष्ण शास्त्री
    9993874848

गुरुवार, 13 जनवरी 2022

जानिए किन विशेष ग्रहयोग के कारण होता हैं वैवाहिक जीवन में संघर्ष––


जानिए किन विशेष ग्रहयोग के कारण होता हैं वैवाहिक जीवन में संघर्ष*––


यदि कुंडली के सप्तम भाव में कोई पाप योग *(गुरु–चांडाल योग, ग्रहण योग अंगारक योग आदि)* बना हुआ हो तो वैवाहिक जीवन में तनाव और बाधाएं उपस्थित होती हैं।

यदि सप्तम भाव में कोई पाप ग्रह नीच राशि में बैठा हो तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष की स्थिति बनती है।

राहु–केतु का सप्तम भाव में शत्रु राशि में होना भी वैवाहिक जीवन में तनाव का कारण बनता है।

यदि सप्तम भाव के आगे और पीछे दोनों और और पाप ग्रह हो तो यह भी वैवाहिक जीवन में बाधायें उत्पन्न करता है।

सप्तमेश का पाप भाव (6,8,12) में बैठना या नीच राशि में होना भी वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव का कारण बनता है।

पुरुष की कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, केतु के साथ हो, सूर्य से अस्त हो, अष्टम भाव में हो या अन्य किसी प्रकार पीड़ित हो तो वैवाहिक जीवन में तनाव और संघर्ष उत्पन्न होता है।

स्त्री की कुंडली में मंगल नीच राशि (कर्क) में हो, राहु शनि से पीड़ित हो बृहस्पति नीचस्थ हो राहु से पीड़ित हो तो वैवाहिक जीवन में बाधायें और वाद विवाद उत्पन्न होते हैं।

पाप भाव (6,8,12) के स्वामी यदि सप्तम भाव में हो तो भी वैवाहिक जीवन में विलम्ब और बाधाएं आती हैं।

सप्तम में शत्रु राशि या नीच राशि (तुला) में बैठा सूर्य भी वैवाहिक जीवन में बाधायें और संघर्ष देता है।


*विशेष* – यदि पीड़ित सप्तमेश, सप्तम भाव, शुक्र और मंगल पर बृहस्पति की शुभ दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसे में वैवाहिक जीवन की समस्याएं अधिक बड़ा रूप नहीं लेती और उनका कोई ना कोई समाधान व्यक्ति को मिल जाता है, वैवाहिक जीवन की समस्यायें अधिक नकारात्मक स्थिति में तभी होती हैं जब कुंडली में वैवाहिक जीवन के सभी घटक पीड़ित और कमजोर हो और शुभ प्रभाव से वंछित हो तो सुख का अभाव बना रहता है 

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*अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें*

*जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ* 

       *पंडित* 

*मनोज कृष्ण शास्त्री*

     *9993874848*

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