कटनी - शासकीय महाविधालय बड़वारा में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021 अंतर्गत कार्यक्रम के अंतर्गत दूसरे दिन राष्ट्रीय वेब कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस वर्चुल कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि डॉ कैलाश चंद्र साइंटिस्ट, डायरेक्टर जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कोलकाता एवं स्पेशल गेस्ट डॉ रीता भंडारी प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, प्राणी विज्ञान विभाग शासकीय ओएफके महाविद्यालय जबलपुर, डॉ स्वामिककानू सम्बाथ साइंटिस्ट, सेंट्रल जोन रीजनल सेंटर जबलपुर, डॉ एसआर नवांगे वनस्पति शास्त्र एवं प्राणी शास्त्र विभाग शासकीय महिला महाविद्यालय सिवनी, डॉ अर्जुन शुक्ला प्राणी शास्त्र विभाग शासकीय एमएचकॉलेज ऑफ़ होम साइंस जबलपुर, एशिया एंड इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड होल्डर थे। जिन्होंने विभिन विषयों पर अपने विचार रखे। कांफ्रेंस की शुरुआत सरस्वती वंदना के साथ हुई।बड़वारा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आरएस त्रिपाठी ने कांफ्रेंस में उपस्थित समस्त अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत किया। कांफ्रेंस का संचालन डॉ रोशनी पाण्डेय सहायक प्राध्यापक प्राणी विज्ञान ने किया। कांफ्रेंस में महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं छात्र छात्राओं की उपस्थिति रही। प्राचार्य ने कहा कि महाविद्यालय द्वारा भविष्य में ऐंसे और भी ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कांफ्रेंस व सेमिनार का आयोजन किया जायेगा।
शुक्रवार, 5 मार्च 2021
जिले की सभी तहसीलों में पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू,कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट ने जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश
कटनी - कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट प्रियंक मिश्रा ने मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986, संशोधन विधेयक 2002 में दी गई शक्तियों को उपयोग में लाते हुये प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। जिसके तहत ग्रीष्म ऋतु में कटनी जिले में औसत भू-जल स्तर में लगातार गिरावट होने के दृष्टिगत जिले की समस्त तहसीलों में पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रतिबंधात्मक आदेश में जिले में नवीन नलकूप खनन, नदी-तालाबों अथवा सार्वजनिक जलाशयों से पानी लेना पूर्णतः प्रतिबंधित होगा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगर निगम एवं नगरीय निकाय इस प्रतिबंध से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।
जारी आदेशानुसार निजी नलकूप के खान के लिये संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से पूर्वानुमति लेना अनिवार्य होगा। शासकीय नलकूप से 150 मीटर के दायरे के अन्तर्गत निजी नवीन खनन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। निजी नलकूप खनन की गहराई खनिज शासकीय नलकूप से कम रखना अनिवार्य होगा। यदि आवश्यक हुआ तो खनन किये जा रहे निजी नलकूप से आसपास के निवासियों को भी पेयजल उपलब्ध कराना होगा। जिले में यह प्रतिबंधात्मक आदेश तत्काल प्रभाशील हो गया है।
प्रमुख सचिव शाह ने एसडीएम ढीमरखेड़ा की गतिविधियों को सराहा
कटनी - महिला एवं बाल विकास के राज्य स्तरीय वी.सी. में ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. सपना त्रिपाठी की सराहना प्रमुख सचिव अशोक शाह एवं आयुक्त स्वाती मीणा, महिला एवं बाल विकास विभाग भोपाल द्वारा की गई। मुख्य रूप से बच्चों में कुपोषण निवारण में भूमिका एवं मोटे अनाज की रेसिपी आंगनबाड़ी केन्द्रों में लागू कराना तथा निगरानी के रूप में स्वयं आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के साथ भोजन करना के संबंध में। प्रमुख सचिव द्वारा यह कहां गया कि ऐसे ही प्रदेश के सभी एस.डी.एम. कार्य करें तो, जल्द ही बच्चों में कुपोषण में काफी कमी आयेगी।
उल्लेखनीय है कि ढीमरखेड़ा परियोजना अंतर्गत एस.डी.एम. द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के कुपोषण मुक्ति कार्यक्रम में भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। इनके अथक प्रयास से 03 माह में 225 बच्चें कुपोषण से मुक्त हुये है।
ढीमरखेड़ा में इनके द्वारा कुपोषित बच्चों के लिये स्नेह कार्यक्रम का निरंतर आयोजन किया जा रहा है, वर्तमान समय में 80 गंभीर कुपोषित बच्चों को 31 मार्च 2021 तक स्वस्थ्य करने का जिम्मा लिया गया है। अभियान के अंतर्गत तहसीलदार, सी.ओ. जनपद एवं शासकीय कर्मचारियों के सहयोग से 04 किं्वटल विशेष रेडी टू ईट का पैकिट गेंहू, चना, मूंगफली, शक्कर से तैयार कराकर बच्चों के परिवार को प्रदाय किया गया है। केन्द्र की आंगनबाड़ी सहायिका निरंतर प्रति दिवस बच्चों के घर 2 घंटे उपस्थित होकर बच्चे की मां को समझाईश देती हैं, इन बच्चों को विशेष मालिश का तेल एवं मल्टी विटामिन दवा भी उपलब्ध कराया गया है। निश्चित रूप से एस.डी.एम. ढीमरखेड़ा का प्रयास सराहनीय है।
इनके द्वारा सेक्टर झिन्ना पिपरिया के 25 आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह के 03 दिवस मोटे अनाज (मक्का, ज्वार, बाजरा) की रोटी, पंच दाल (चना, अरहर, मूंग, मसूर, उड़द) आवला चक्की, गुड़ का वितरण भी बच्चों को कराया जा रहा है। स्वयं उपस्थित होकर आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों के साथ खाना भी खाती है ताकि बच्चों के भोजन की मात्रा एवं गुणवत्ता बनी रहे।
अवैध कालोनाइजर्स पर नगर निगम की कार्यवाही , रामचंद्र सक्सेना द्वारा की जा रही थी अवैध प्लाटिंग
कटनी - अवैध प्लाटिंग को लेकर नगर निगम की कार्यवाही, ढाई एकड़ में प्लाटिंग कर रहे रामचंद्र सक्सेना की जमीन पर हुई कार्यवाही। कलेक्टर निवास के पीछे चल रहा अवैध प्लाटिंग का काम, बनी सड़को को जेसीबी से तोड़ा। 2 तारीख को नोटिस जारी करने के बाद आज हुई कार्यवाही, माधवनगर थाना क्षेत्र के झिंझरी का मामला।
गुरुवार, 4 मार्च 2021
श्री मोहनलाल आर्य होंगे जिले के नए अपर कलेक्टर
कटनी - संयुक्त कलेक्टर रतलाम मोहनलाल आर्य होंगे कटनी जिले के नए अपर कलेक्टर । राज्य शासन ने जारी किया आदेश
डायल 100 की मदद से सुरक्षित प्राथमिक उपचार केंद्र पहुँची मासूम नवजात ...
कटनी - बरही थाना अंतर्गत शासकीय स्कूल के पास महज दो-तीन दिन की अज्ञात नवजात बच्ची लावारिस हालत में पड़ी होने की सूचना जैसे डायल 100 को मिली तत्परता से कार्यवाही करते हुए उक्त बच्ची को अपने सुपुर्द लिया एवं उसे प्राथमिक उपचार हेतु चिकित्सालय बरही ले जाया गया ll
खेती-किसानी और किसानों की बेहतरी के पुरोधा शिवराज
भोपाल -: किसान पुत्र होने के नाते खेती-किसानी को बेहतर तरीके से जानने वाले मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों के लिये जो किया है, वह कृषि क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रहा है। एक लंबे समय से उनके द्वारा खेती-किसानी और किसानों की बेहतरी के लिए किए गए प्रयासों और नवाचारों के परिणाम अब न केवल पूरे देश-दुनिया के सामने है बल्कि उन्हें इसका पुरोधा भी माना गया है।
प्रदेश के किसानों के हित में खेती को लाभप्रद बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनेक नवाचार भी किये हैं। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भागीदारी है। कृषि उत्पादन को बढ़ाना, उत्पादन की लागत को कम करना, कृषि उपज के उचित दाम दिलाना और प्राकृतिक आपदा या अन्य स्थिति में उपज को हुए नुकसान में किसान को पर्याप्त क्षतिपूर्ति देना, मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रयासों में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के किसानों को जो संबल दिया, उससे किसानों ने प्रमुख रूप से गेहूँ उत्पादन में रिकार्ड कायम किया। मध्यप्रदेश गेहूँ उपार्जन में पूरे देश में अव्वल रहा। किसानों के हित में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करते हुए ई-ट्रेडिंग का प्रावधान किया गया और किसानों को उपार्जन केन्द्र के साथ ही मंडी के अधिकृत निजी खरीदी केन्द्र और सौदा-पत्रक व्यवस्था के माध्यम से भी फसल बेचने की सुविधा प्रदान की गई। गेहूँ, धान एवं अन्य फसलों के उपार्जन की 33 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई।
प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में प्रतिवर्ष 6-6 हजार रूपये तो मिल ही रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के किसानों के लिये मुख्यमंत्री किसान-कल्याण सम्मान निधि योजना की शुरूआत कर किसानों को मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रतिवर्ष 4 हजार रूपये दो बराबर किश्तों में दिये जाना शुरू किया गया। इस प्रकार किसानों को अब कुल 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष किसान सम्मान निधि मिल रही है।
किसानों की परेशानियों को भी मुख्यमंत्री श्री चौहान भलीभांति समझते हैं। उन्होंने प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य परिस्थिति में किसान की उपज को हुए नुकसान में राहत पहुँचाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लंबित प्रीमियम जमा कर किसानों को राहत पहुँचाई। लॉकडाउन की विकट स्थिति में एक करोड़ 29 लाख टन गेहूँ 16 लाख किसानों से खरीद कर उनके खातों में 27 हजार करोड़ से अधिक की राशि अंतरित किया जाना किसानों के लिये बड़ी राहत थी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण योजना को पुन: चालू करते हुए किसानों को राहत पहुँचाई। इसके लिये सहकारी बैंकों को 800 करोड़ रूपये की राशि भी उपलब्ध करवाई गई। किसानों की आय को बढ़ाने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बेहतर प्रबंधन और सिंचाई परियोजनाओं पर प्राथमिकता से कार्य करवाये। इन कार्यों से प्रदेश में अधिक से अधिक क्षेत्र में सिंचाई की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। वर्ष 2020 तक लगभग 40 लाख 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएँ विकसित की गईं। प्रदेश में 19 वृहद, 97 मध्यम और 5344 लघु सिंचाई योजनाओं का कार्य पूर्ण किया गया। इसके साथ ही 27 वृहद, 47 मध्यम और 287 लघु सिंचाई योजनाएँ प्रगति पर हैं। प्रदेश में अगले 5 वर्षों में 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कोरोना काल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं में 57 हजार 653 जल- संरचनाओं का निर्माण किया गया। इन सभी जल संरचनाओं से जहाँ एक ओर स्थानीय लोगों को कोरोना काल में रोजगार मिला, वहीं भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी के साथ किसानों को खेती में सिंचाई के लिये पानी भी मिल रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा विगत कई वर्षों से सिंचाई बजट में निरंतर वृद्धि भी की जा रही है।
हाल ही में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रि-परिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजस्व पुस्तक परिपत्र में नये प्रावधान जोड़े हैं। इन प्रावधानो में प्राकृतिक प्रकोप, आग लगने तथा वन्य प्राणियों द्वारा मकान नष्ट किये जाने पर आर्थिक सहायता को शामिल किया। किसानों को कृषि कार्य के लिये फ्लैट दरों पर बिजली दी जा रही है, जिसमें 22 लाख कृषि उपभोक्ता लाभान्वित हुए हैं। किसानों को खेती के लिये बिजली कनेक्शनों पर 14 हजार 244 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गया।
प्रदेश कृषि अधोसंरचना विकास फंड के उपयोग में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। अधोसंरचना विकास के लिये आत्म-निर्भर कृषि मिशन का गठन किया गया है। कृषि विकास एवं किसान-कल्याण के लिये विभिन्न योजनाओं पर 83 हजार करोड़ रूपये से अधिक के हितलाभ दिये गये हैं। किसानों के हित में मंड़ी नियमों में ऐतिहासिक सुधार भी किया गया हैं। मंडी टेक्स 1.50 प्रतिशत से घटाकर 0.50 प्रतिशत किया गया। कृषि की लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने तथा उपज का सही दाम किसानों के दिलाने के लिए कृषि उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) को मजबूत किया जा रहा है। आगामी वर्षों मे एक हजार नये कृषि उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा।
किसानों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा फसल नुकसानी पर न्यूनतम मुआवजा राशि 5 हजार रूपये की गई है। इस संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन भी किया गया है। शिवराज के इन्हीं सब कार्यों का परिणाम है कि मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर निरंतर बढ़ रही है। प्रदेश को लगातार सातवीं बार कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के सफल प्रयासों ने उन्हें खेती-किसानी और किसानों की बेहतरी के पुरोधा के रूप में मान्यता दिलाई है।
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