धान खरीदी में संगठित फर्जीवाड़ा बेनकाब
कलेक्टर के आदेश पर कंप्यूटर ऑपरेटर समेत चार पर FIR, करोड़ों के खेल की आशंका
कटनी। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में रीठी तहसील में धान खरीदी पंजीयन के नाम पर सुनियोजित धोखाधड़ी का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। कलेक्टर के सख्त निर्देश पर कंप्यूटर ऑपरेटर सहित चार लोगों के खिलाफ थाना कुठला में आपराधिक षड्यंत्र, कूटरचना और सरकारी धन की लूट के गंभीर आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है।
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी प्रियंका सोनी की शिकायत पर कंप्यूटर ऑपरेटर प्रीतम सिंह लोधी, संपत अग्रवाल, रंजना अग्रवाल एवं मीराबाई पति विनोद कुमार को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि इन लोगों ने फर्जी पंजीयन कर शासन को भारी आर्थिक क्षति पहुंचाने की साजिश रची और इस साल भी उसी अपराध को दोहराने की तैयारी थी।
जनसुनवाई से फूटा घोटाला
4 नवंबर की जनसुनवाई में धान पंजीयन में भारी गड़बड़ी की शिकायत सामने आते ही कलेक्टर के निर्देश पर कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी और नायब तहसीलदार बिलहरी ने संयुक्त जांच की। जांच में पंजीयन क्रमांक 226424000047 उजागर हुआ, जिसमें 19.37 हेक्टेयर भूमि दर्शाई गई—पर चौंकाने वाली बात यह कि पंजीयन में जुड़े खसरे मीराबाई के नहीं थे। अन्य किसानों की जमीन बिना सहमति उनके नाम जोड़ दी गई।
दस्तावेज शून्य, जवाब गायब
एमपी भू-अभिलेख पोर्टल पर जांच में साफ हो गया कि पंजीयन में दर्ज एक भी खसरा मीराबाई के नाम का नहीं है। पंजीयनकर्ता कंप्यूटर ऑपरेटर कोई वैध दस्तावेज या अनुबंध पेश करने में पूरी तरह नाकाम रहा—जो सीधे-सीधे अपराध की पुष्टि करता है।
पिछले साल भी खेल, पैसा भी उठा
ई-उपार्जन पोर्टल से खुलासा हुआ कि इसी पंजीयन से खरीफ 2024-25 में भी 412 क्विंटल धान बेचा गया और ₹9,47,599 का भुगतान एक ही बैंक खाते में हुआ। यहीं से ₹1.53 लाख रंजना अग्रवाल के खाते में ट्रांसफर हुए, जबकि 3, 4 और 6 जनवरी 2025 को ₹6 लाख नकद आहरण किया गया। यह पूरा लेन-देन संगठित आर्थिक अपराध की ओर इशारा करता है।
कानून का शिकंजा कस गया
जांच में स्पष्ट हुआ कि आरोपी समूह ने शासन की पंजीयन नीति का खुला उल्लंघन करते हुए कूटरचना से फर्जी पंजीयन कराया। नतीजतन थाना कुठला में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318(4), 340(1), 340(2) और 336(3) के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।
सवाल बड़ा—और भी नाम?
यह कार्रवाई केवल शुरुआत मानी जा रही है। अफसरों का संकेत साफ है—घोटाले की परतें खुलेंगी तो और चेहरे बेनकाब होंगे। प्रशासन का संदेश स्पष्ट है: धान खरीदी में लूट अब नहीं चलेगी, दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई तय है।

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