कटनी। वर्षों से चोरी का लोहा खरीदकर उसे गलाने और बाजार में खपाने का धंधा बेखौफ चल रहा था, लेकिन अब जाकर कानून का शिकंजा कस पाया है। मंगलनगर में पकड़े गए कबाड़ी की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो गया है कि रेलवे संपत्ति की चोरी कोई एक-दो दिन का खेल नहीं, बल्कि संगठित और लंबे समय से चल रहा अवैध कारोबार था।
आरपीएफ, जीआरपी और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने उस नेटवर्क को उजागर कर दिया है, जो रेलवे परिसर, डीजल शेड, सीएनडब्लू और निर्माणाधीन परियोजनाओं से लोहा चुराकर कबाड़ियों के जरिए गलाता और बेचता रहा। कार्रवाई में ट्रक सहित कई टन चोरी का लोहा बरामद होना इस बात का पुख्ता सबूत है कि चोरी, परिवहन और बिक्री—तीनों स्तर पर मिलीभगत थी।
अब कबाड़ियों में हड़कंप
इस कार्रवाई के बाद शहर और आसपास के इलाकों में चोरी का माल खरीदने–बेचने वाले कबाड़ियों में अफरा-तफरी मची हुई है। कई कबाड़ी अपने गोदाम बंद कर रहे हैं, तो कुछ कबाड़ खपाने के रास्ते तलाशने में जुटे हैं। यह साफ संकेत है कि डर अब माफिया तक पहुंच चुका है।
सबसे बड़ा सवाल—अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?
वर्षों से खुलेआम चल रहे इस अवैध कारोबार पर अब तक निगरानी और कार्रवाई की कमी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या यह सब बिना स्थानीय स्तर की अनदेखी और संरक्षण के संभव था? जांच का दायरा बढ़ने पर और बड़े नाम सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है।
सख्त संदेश
रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चोरी का माल खरीदने–बेचने वालों के खिलाफ अब जीरो टॉलरेंस अपनाया जाएगा। यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है—आने वाले दिनों में कबाड़ माफिया पर और बड़ी गाज गिरना तय माना जा रहा है।

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