कटनी जिले के बरही, पिपरिया कला, बगैहा और खितौली क्षेत्र में संचालित धान खरीदी केंद्रों पर भ्रष्टाचार का जाल इस कदर फैला है कि किसान चाहकर भी शिकायत नहीं कर पा रहे। वजह साफ है—शिकायत की तो उपज बेचने में अड़चन, नंबर लटकाने और मानसिक प्रताड़ना का खतरा।41 किलो से ऊपर तौल, हर कदम पर वसूली
किसानों का आरोप है कि खरीदी केंद्रों पर मानक 40 किलो की जगह 41 किलो से अधिक की तौल कराई जा रही है। तौल कांटा, तुलाई खर्च और अन्य व्यवस्थाओं का पैसा भी किसान से ही लिया जाता है।
कई केंद्रों पर 20 से 30 रुपये प्रति क्विंटल तक की अवैध वसूली की जा रही है। जागरूक किसानों से “चार्ज” तय है, जबकि नियम न जानने वाले किसानों से मनमाना पैसा वसूला जाता है।
व्यापारियों की मौज, मध्यम किसान परेशान
खरीदी केंद्रों पर व्यापारियों और बाहरी तत्वों का जमावड़ा बना रहता है। बड़े किसान, जिनमें कुछ व्यापारी भी हैं, उनके स्लॉट पहले से बुक रहते हैं—
- न बारदाने की कमी
- न मजदूरों की समस्या
- न तुलाई में देरी
जबकि मध्यम और छोटे किसान नंबर के इंतजार में ठंड में रात-रात भर बैठे रहते हैं। केंद्र प्रभारियों द्वारा किसी न किसी बहाने से उनके काम लटकाए जाते हैं। किसानों का साफ कहना है—
“यहां उसी का काम होता है, जो प्रभारी और उनके चंगु-मंगु की लाइन में चलता है।”
महिला समूह सिर्फ नाम के, काम परिवार चला रहे
शासन का उद्देश्य था कि स्व-सहायता समूहों की महिलाएं खरीदी केंद्रों का संचालन करें और उन्हें अनुभव मिले। लेकिन हकीकत यह है कि—
- महिलाओं के नाम पर केंद्र आवंटित हैं
- काम पति, भाई, रिश्तेदार या पड़ोसी चला रहे हैं
- बड़े अधिकारियों के निरीक्षण की भनक लगते ही महिला अध्यक्ष-सचिव को बुलाकर बैठा दिया जाता है
- अधिकारी के जाते ही फिर वही पुराना खेल
औचक निरीक्षण पर उठे सवाल
हाल ही में कटनी कलेक्टर आशीष तिवारी ने बरही एवं खितौली क्षेत्र के खरीदी केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। पिपरिया कला और बगैहा के केंद्रों में कोई बड़ी कमी न मिलना अब चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि—
- लगभग हर केंद्र पर प्राइवेट कांटे चल रहे हैं
- 41 किलो से अधिक तौल आम बात है
- कई अनियमितताएं खुलकर सामने आ सकती थीं
किसानों का कहना है कि नोडल बनाए गए हल्का पटवारी और खाद्य विभाग के अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मूकदर्शक बने हुए हैं।
किसानों की मांग—बिना सूचना, निष्पक्ष जांच हो
बरही, खितौली और पिपरिया कला क्षेत्र के किसानों ने सूबे के मुखिया और जिला प्रशासन से मांग की है कि—
- केंद्र प्रभारियों को बिना सूचना दिए जिला स्तरीय स्वतंत्र जांच कराई जाए
- महिला समूहों की वास्तविक भागीदारी की जांच हो
- अवैध तौल, वसूली और व्यापारियों की भूमिका पर सख्त कार्रवाई हो
ताकि डरे-सहमे, पीड़ित किसानों को न्याय मिल सके और धान खरीदी व्यवस्था सच में पारदर्शी बन सके।
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