फर्जी धान कांड वाला मारुति वेयरहाउस बना खरीदी केंद्र—चार गांव के किसानों का फूटा गुस्सा, कलेक्टर से सख्त कार्रवाई की मांग
कटनी। बसाडी, निगहारा, कांटी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों ने खरीदी केंद्रों में हो रही धांधली, अवैध वसूली और तौल घोटाले के खिलाफ कलेक्टर कटनी आशीष तिवारी को पत्राचार कर विरोध दर्ज कराया है। किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन की कार्यशैली अब खुलकर सवालों के घेरे में है, क्योंकि जिस मारुति वेयरहाउस कांटी से कुछ दिन पहले हजारों क्विंटल फर्जी धान जब्त हुआ था और जिस पर करीब ढाई लाख रुपये पेनाल्टी लगाई गई थी, उसी वेयरहाउस को खरीदी केंद्र के रूप में फिर से सक्रिय कर दिया गया है। साथ ही साथ बसाडी और निगहरा खरीदी केंद्र भी मारुति वेयरहाउस संचालक को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सौंप दिया गया
किसानों ने कलेक्टर को दिए पत्र में लिखा है कि यह फैसला “चोर के हाथों साहूकारी देने जैसा” है। जिस स्थान से प्रशासन ने खुद फर्जीवाड़ा पकड़ा, उसी जगह किसानों को धान बेचने के लिए मजबूर करना सरकारी संरक्षण में लूट जैसा प्रतीत होता है।
तौल में गड़बड़ी और अवैध वसूली का आरोप
किसानों ने खुलासा किया कि मारुति वेयरहाउस कांटी सहितनिगहरा और बसाडी खरीदी केंद्र में धान की तौल के नाम पर खुली लूट जारी है।
- 41 किलो की बोरी में मात्र 40 किलो धान तौलकर किसानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
- तौल के बाद प्रति क्विंटल 100 रुपये तक अवैध वसूली की जा रही है।
किसानों का कहना है कि खरीदी केंद्र प्रभारी और वेयरहाउस संचालक की मिलीभगत से यह खेल खुलेआम चल रहा है और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
‘फर्जी धान’ पकड़ा फिर उससे ही तीन-तीन खरीदी केंद्र संचालित करवाना कहा तक सही है!
किसानों ने आरोप लगाया कि मारुति वेयरहाउस, जहाँ से फर्जी धान पकड़ा गया था, उससे ही अधिकारियों द्वारा तीन–तीन खरीदी केंद्र चलवाए जा रहे हैं। किसानों ने इसे सीधी लूट बताते हुए कहा कि "जिनके खिलाफ पूर्व में कार्रवाई हुई, उन्हें ही जिम्मेदारी देकर किसानों को फिर धोखे में धकेला जा रहा है।"
खरीदी केंद्र बसाडी–निगहारा - कांटी के प्रभारी को हटाने की मांग
किसानों ने खरीदी केंद्र बसाडी, निगहारा और कांटी के वर्तमान प्रभारी को तत्काल हटाकर नए प्रभारी नियुक्त करने की मांग की है। किसानों का कहना है कि वर्तमान प्रभारी किसानों का शोषण कर रहे हैं और उनकी मिलीभगत से अवैध वसूली का पूरा तंत्र फल-फूल रहा है।
किसानों का सवाल—क्या पारदर्शिता सिर्फ कागजों में?
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन एक तरफ फर्जीवाड़ा पकड़कर कार्रवाई का ढिंढोरा पीटता है, और दूसरी तरफ उसी जगह को खरीदी केंद्र बनाकर किसानों को फिर उसी जाल में धकेल देता है। इससे स्पष्ट है कि खरीदी व्यवस्था में भ्रष्टाचार और मनमानी का बोलबाला है।


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टोटल भ्रष्टाचार
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