भोपाल। संतोष वर्मा प्रकरण पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सीधी निगरानी लेते हुए जीएडी को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने एक के बाद एक तीन बड़े फैसले सुना दिए। ये फैसले न सिर्फ़ प्रशासनिक व्यवस्था में फैली धांधली को उजागर करते हैं, बल्कि व्यवस्था को चुनौती देने वालों को साफ़ संदेश भी देते हैं कि अब ‘फ़र्ज़ीवाड़ा’ और ‘अहंकार’ दोनों पर सीधी कार्रवाई होगी।
1. फ़र्ज़ी पदोन्नति का खुलासा—IAS बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र को!
जांच में सामने आया कि राज्य प्रशासनिक सेवा से IAS में पदोन्नति का आदेश ही फ़र्ज़ी और जाली तरीके से तैयार किया गया।
इसके साथ ही वर्मा के खिलाफ विभिन्न अदालतों में आपराधिक मामले लंबित हैं।
फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर मिली IAS पदोन्नति को पूरी तरह अवैध माना गया है।
राज्य शासन ने इस पर सबसे बड़ा कदम उठाते हुए IAS से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है।
2. झूठे दस्तावेज़ों से ‘सदाचार प्रमाणपत्र’—जवाब असंतोषजनक, चार्जशीट पक्की
वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने जाली दस्तावेज़ लगाकर संनिष्ठा/सदाचार प्रमाणपत्र हासिल किया।
विभागीय जांच अंतिम चरण में है और
कारण बताओ नोटिस पर वर्मा का जवाब पूरी तरह असंतोषजनक पाया गया।
उल्टा वे लगातार मर्यादा विहीन बयान देते रहे।
नतीजा—जीएडी ने चार्जशीट जारी करने का निर्णय लिया।
3. कृषि विभाग से हटाए गए—बिना विभाग, बिना काम ‘GAD पूल’ में अटैच
राज्य शासन ने वर्मा को उनके पद उप सचिव, कृषि विभाग से हटाकर सीधे GAD पूल में डाल दिया है।
अब न विभाग, न ज़िम्मेदारी—
साफ़ संकेत कि सरकार अब किसी भी तरह की ढिलाई या पद के दुरुपयोग को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
सरकार का संदेश साफ़—प्रशासन में ‘फ़र्ज़ीवाड़ा’ चलेगा नहीं!
मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद उठाए गए ये तीन तेज़ कदम बताते हैं कि
सरकार अब सफ़ाई मोड में है और व्यवस्था को कलंकित करने वालों पर नकेल कसना शुरू कर चुकी है।


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें