आज कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि है। वही कुशाभाऊ ठाकरे, जिनके संगठनात्मक परिश्रम, अनुशासन और त्याग के दम पर आज भाजपा पंच से लेकर प्रधानमंत्री तक सत्ता के शिखर पर बैठी है। लेकिन अफ़सोस, आज उसी पार्टी ने अपने ही शिल्पकार को कूड़े-करकट की तरह भुला दिया। प्रतिमा लगाकर औपचारिकता निभा ली गई, पर सम्मान देने की ज़रूरत ही नहीं समझी गई।
सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पुण्यतिथि के दिन प्रदेश के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा जिले में मौजूद थे, इसके बावजूद
- न माल्यार्पण किया गया
- न प्रतिमा स्थल की साफ-सफाई
- न नाम मात्र का गार्डन रख-रखाव
- यहाँ तक कि मूर्ति पर जमी धूल तक नहीं हटाई गई
प्रतिमा स्थल की बदहाली खुद गवाही दे रही है कि सत्ता में बैठी भाजपा आज अपने ही इतिहास और अपने ही स्तंभों को कितनी बेरहमी से नज़रअंदाज़ कर रही है। चारों ओर फैली गंदगी, उजड़ा परिसर और सन्नाटा — यह सब भाजपा की उस संवेदनहीन राजनीति को उजागर करता है, जिसे मंचों से संस्कार और राष्ट्रवाद के भाषण देकर ढका जाता है।
पंच से प्रधानमंत्री तक भाजपा की सरकार है, संसाधनों की कोई कमी नहीं, फिर भी जिन महापुरुषों ने पार्टी को इस मुकाम तक पहुँचाया, उनके साथ यह व्यवहार — यह लापरवाही नहीं, यह खुली राजनीतिक कृतघ्नता है।
कटनी में आज जो दृश्य सामने आया, उसने यह साफ कर दिया कि
सत्ता की चमक में भाजपा अपने ही शिल्पकारों को किनारे लगाने से नहीं हिचकती।
कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि पर यह उपेक्षा न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए अपमानजनक है, बल्कि भाजपा की कथनी और करनी के बीच की खाई को भी उजागर करती है।

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