दतला नदी में अवैध रेत उत्खनन पर बड़ी कार्रवाई
खनिज विभाग सहित ढीमरखेड़ा पुलिस की संयुक्त दबिश, चार ट्रैक्टर जप्त ,
छुटभैयों पर कार्रवाई, बड़े रेत माफिया अब भी बेखौफ ,
लंबे अंतराल बाद हरकत में प्रशासन, निष्पक्षता पर उठे सवाल
ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र अंतर्गत दतला नदी घाटों में लंबे समय से चल रहे अवैध रेत उत्खनन पर आखिरकार प्रशासन ने शिकंजा कसा है। माइनिंग विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने अचानक दबिश देकर अवैध रूप से रेत का उत्खनन व परिवहन कर रहे चार ट्रैक्टर जब्त किए। सभी वाहन सुरक्षार्थ सिलौड़ी चौकी में खड़े कराए गए हैं। इस कार्रवाई से इलाके के रेत कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
हालांकि, कार्रवाई को लेकर बड़ा सवाल भी खड़ा हो रहा है—क्या यह सख्ती सिर्फ छुटभैयों तक सीमित है? क्षेत्र में आम चर्चा है कि बड़े और प्रभावशाली रेत माफियाओं पर जिम्मेदार अब भी आंखें मूंदे बैठे हैं, जबकि छोटे ऑपरेटरों पर ही कार्रवाई का डंडा चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक ढीमरखेड़ा तहसील के विभिन्न नदी घाटों से लंबे समय से अवैध रेत निकासी जारी थी, जिससे शासन को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा था। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद प्रशासन ने माइनिंग विभाग और पुलिस को संयुक्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
ढीमरखेड़ा थाना प्रभारी के अनुसार, अवैध रेत उत्खनन के खिलाफ पुलिस पहले से दबिश दे रही थी, लेकिन भनक लगते ही माफिया फरार हो जाते थे। बुधवार को माइनिंग विभाग की टीम और पुलिस बल ने दतला नदी घाट पर अचानक छापा मारा। कार्रवाई के दौरान दतला घाट और बम्होरी गांव के पास अवैध उत्खनन करते हुए चार ट्रैक्टर रंगेहाथ पकड़ लिए गए, जिन्हें सिलौड़ी चौकी में जब्त किया गया।
प्रशासन की इस संयुक्त कार्रवाई से आमजन में संतोष जरूर है, लेकिन मांग यह भी तेज है कि कार्रवाई केवल दिखावे तक सीमित न रहे। यदि सच में अवैध रेत उत्खनन पर लगाम लगानी है तो बड़े माफियाओं तक भी हाथ पहुंचाना होगा। अधिकारियों का कहना है कि अभियान आगे भी जारी रहेगा और किसी भी सूरत में माफियाओं को बख्शा नहीं जाएगा—अब देखना यह है कि यह सख्ती सभी पर बराबर लागू होती है या नहीं।

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