बुधवार, 17 सितंबर 2025

“संवेदनशीलता की मिसाल: कुर्सी छोड़ वृद्ध फरियादी के पास पहुँचे कलेक्टर”

कटनी - कलेक्ट्रेट सभाकक्ष की जनसुनवाई सामान्य दिनों की तरह चल रही थी। लोग अपनी-अपनी समस्याएँ लेकर अधिकारियों के सामने बैठे थे। तभी भीड़ में एक वृद्ध दिव्यांग, लकड़ी की छड़ी के सहारे धीरे-धीरे चलता हुआ अपनी जगह पर आ बैठा। चेहरा चिंताओं से भरा हुआ था और आँखों में उम्मीद की एक हल्की चमक।

इस दृश्य ने नवपदस्थ कलेक्टर आशीष तिवारी का ध्यान खींच लिया। संवेदनशील कलेक्टर ने औपचारिक कुर्सी और प्रोटोकॉल की परवाह न करते हुए तुरंत अपनी कुर्सी छोड़ी और सीधे उस वृद्ध दिव्यांग के पास पहुँच गए। सबकी निगाहें उसी क्षण उस दृश्य पर टिक गईं।

कलेक्टर ने झुककर पूछा – “दादा, कैसे आना हुआ? बताइए।”

वृद्ध का नाम परदेशी बर्मन था, जो ढीमरखेड़ा क्षेत्र के मुरवारी गाँव से आए थे। काँपती आवाज़ में उन्होंने बताया – बाबू, जिस जमीन पर मेरा घर है, वह 2022 से किसी और के नाम चढ़ गई है। अब हम बहुत परेशान हैं।”

कलेक्टर तिवारी ने बिना देर किए आवेदन अपने हाथों में लिया और वहीं मौजूद एसडीएम ढीमरखेड़ा को निर्देश दिया कि तुरंत जांच कर समाधान सुनिश्चित करें।

जनसुनवाई में मौजूद हर व्यक्ति इस दृश्य को देखकर भावुक हो उठा। आमतौर पर जहाँ अधिकारी अपनी कुर्सी से हिलते नहीं, वहीं कलेक्टर  तिवारी का यह कदम “अधिकारी नहीं, जनसेवक” की छवि को जीवंत कर गया।

इस छोटी-सी पहल ने यह संदेश दे दिया कि यदि दिल में संवेदनशीलता हो तो शासन की कुर्सी जनता की सेवा का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है।

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