भोपाल - बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल को सोमवार को मध्य प्रदेश बीजेपी का प्रदेशाध्यक्ष निर्विरोध चुन लिया गया है। उन्होंने इस पद के लिए अकेले नामांकन दाखिल किया था। खंडेलवाल को सत्ता और संगठन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक सफर
हेमंत खंडेलवाल ने राजनीति की शुरुआत अपने पिता और बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार खंडेलवाल के मार्गदर्शन में की। बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अपने पिता के साथ सक्रिय रूप से राजनीति में जुड़ गए। उनके पिता, विजय कुमार खंडेलवाल, 1996 से 2004 तक लगातार चार बार बैतूल से सांसद रहे थे।
2007 में विजय कुमार खंडेलवाल के निधन के बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में हेमंत खंडेलवाल ने पहली बार चुनाव लड़ा और कांग्रेस के सुखदेव पांसे को हराकर सांसद बने।
संगठन में लंबा अनुभव
2008 में परिसीमन के बाद बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई। इसके बाद, पार्टी ने हेमंत खंडेलवाल की क्षमताओं को देखते हुए उन्हें 2010 में बैतूल बीजेपी का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने 2013 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे। शिवराज सिंह चौहान की तत्कालीन सरकार में उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं, जिन्हें उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया।
हेमंत खंडेलवाल भाजपा की कुशाभाऊ ठाकरे भवन निर्माण समिति के प्रमुख भी रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में प्रदेश के कई जिलों में भाजपा के भव्य कार्यालय भवन बनकर तैयार हुए। हालांकि, उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने पार्टी और संगठन के साथ अपना जुड़ाव बनाए रखा।
2023 के विधानसभा चुनाव में, हेमंत खंडेलवाल ने शानदार वापसी करते हुए कांग्रेस के निलय डागा को बड़े अंतर से हराया और दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। हेमंत खंडेलवाल विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं, जहां उन्होंने भोपाल से लेकर दिल्ली तक अपनी छाप छोड़ी है। संघ परिवार के कई प्रमुख नेताओं की "गुड लिस्ट" में उनका नाम शामिल होना भी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में अव्वल स्थान पर लाने में सहायक रहा।
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