कटनी। भाजपा नेता नीलेश उर्फ नीलू रजक की सनसनीखेज हत्या के बाद जिला प्रशासन ने अचानक सख़्त रुख अपनाते हुए मुख्य आरोपी अकरम खान के घर पर बुलडोज़र कार्रवाई शुरू कर दी। नगर परिषद, जिला प्रशासन और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अमरेयापार स्थित आरोपी के कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया। प्रशासन ने इसे कानून के तहत की गई कार्रवाई बताया, लेकिन इस कदम ने जिले में कानून के समान प्रयोग और दोहरे मापदंड को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
कार्रवाई के दौरान किसी भी संभावित विरोध को दबाने के लिए कैमोर और विजयाराघवगढ़ क्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। थाना प्रभारी आशीष शर्मा स्वयं मौके पर डटे रहे। बताया गया कि आरोपी पक्ष ने हाईकोर्ट में रोक लगाने का प्रयास किया, लेकिन राहत न मिलने के बाद प्रशासन ने तय कार्यक्रम के अनुसार बुलडोज़र चला दिया।
गौरतलब है कि 28 अक्टूबर को भाजपा नेता नीलेश रजक की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे अपनी बेटी को स्कूल से लेने जा रहे थे। इस निर्मम हत्या ने पूरे जिले को झकझोर दिया था। मामले में अकरम खान और उसका साथी प्रिंस जोसेफ आरोपी हैं। घटना के बाद जिलेभर में आक्रोश फूट पड़ा और आरोपियों पर कठोरतम कार्रवाई की मांग उठी।
हालांकि प्रशासन की यह त्वरित कार्रवाई अब खुद सवालों के कटघरे में खड़ी है। जिले में इसी वर्ष अब तक 20 से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं, जिनमें चौपाटी क्षेत्र की एक घटना में तीन लोगों की हत्या जैसी गंभीर वारदातें भी शामिल हैं। लेकिन उन मामलों में न तो बुलडोज़र चला, न ही ऐसी सख़्ती दिखाई दी।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यदि अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करनी ही है, तो वह सभी मामलों में समान रूप से होनी चाहिए। केवल किसी खास मामले में जनदबाव, पहचान या राजनीतिक कारणों से कार्रवाई करना कानून के राज पर सीधा सवाल खड़ा करता है।
नीलेश रजक की हत्या के बाद चली यह बुलडोज़र कार्रवाई कहीं न्याय का प्रतीक है या फिर चुनिंदा सख़्ती का प्रदर्शन—यह सवाल आज पूरे कटनी जिले में गूंज रहा है।

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