कटनी। नवरात्र जैसे पावन पर्व में भी पुलिस की नाकामी का काला चेहरा सामने आ गया। गर्ग चौराहा स्थित देशी-अंग्रेजी शराब दुकान में उस वक्त शटर बंद कर अवैध शराब बेची जाती रही जब जिले के SP पूरे लाव-लश्कर के साथ शहर का निरीक्षण कर रहे थे। इस दुस्साहस का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पुलिस की भद्द पिट गई और आनन-फानन में दुकान संचालक शुभम जायसवाल और सेल्समेन के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया। मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि कोतवाली और खिरहनी चौकी की जिम्मेदारी तय करने की हिम्मत पुलिस क्यों नहीं जुटा पाई?
जिम्मेदारी से भागती पुलिस
दुकान कोतवाली और खिरहनी चौकी क्षेत्र में होने के बावजूद वहां के पुलिसकर्मी पूरी तरह नाकाम साबित हुए।
SP की मौजूदगी में ही खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ना पुलिस पर गहरे सवाल खड़े करता है।
क्या पुलिस केवल छोटे संचालकों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसकर अधीनस्थ अधिकारियों को बचाना चाहती है?
प्रशासन पर गंभीर सवाल
नियम साफ कहते हैं कि सुबह 9:30 बजे से रात 11:30 बजे तक ही शराब बिक्री की अनुमति है। इसके बाहर बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। बावजूद इसके SP के निरीक्षण के दौरान ही अवैध बिक्री होना पुलिस की कार्यप्रणाली और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को कटघरे में खड़ा करता है।
लाइसेंस निलंबन की तैयारी
कोतवाली पुलिस ने लाइसेंसी और सेल्समेन के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। साथ ही लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई भी प्रस्तावित की जा रही है।
लेकिन बड़े सवाल अब भी बाकी––
क्या सिर्फ संचालक पर केस दर्ज कर पुलिस अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेगी?
अधीनस्थों पर कार्रवाई से पुलिस क्यों भाग रही है?
SP की मौजूदगी में भी नियम तोड़ने वालों के हौसले इतने बुलंद कैसे?
कोतवाल की भूमिका पर भी सवाल
सबसे अहम पहलू यह है कि जहाँ यह गोरखधंधा चल रहा था, वह नगर कोतवाली का इलाका है। अगर SP की मौजूदगी में ही यह कारोबार धड़ल्ले से चलता रहा तो साफ है कि यह रोजमर्रा का खेल है। कोतवाल साहब को इस बात की परवाह तक नहीं रही कि इस लापरवाही से पुलिस कप्तान की भी किरकिरी होगी।
कटनी पुलिस की यह लापरवाही साबित करती है कि अवैध कारोबारियों से ज्यादा मजबूत रिश्ता उनके और जिम्मेदार अधिकारियों के बीच का है।

पूरे कटनी जिले के यही हाल है सब पैसों का खेल है।
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