कटनी । माधव नगर हत्याकांड सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था के पतन का प्रतीक है। शहर के बीचोंबीच सरेआम हुई गगन बजाज की चाकुओं से गोदकर हत्या ने न सिर्फ नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पुलिस की नाकामी और उसके सिस्टम में जड़ें जमा चुकी सुस्ती की भी पोल खोल दी है।
तीन दिन तक दो गुटों के बीच तनाव चलता रहा, विवाद की खबरें पुलिस तक पहुंचीं, चेतावनियां दी गईं — लेकिन सब जानते हुए भी पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिणाम सामने है — एक निर्दोष युवक की जान चली गई, और अपराधियों ने कानून का मखौल उड़ाते हुए यह संदेश दे दिया कि उन्हें किसी का डर नहीं।
सीसीटीवी में कातिलों की ‘ताकत’ देखिए, पुलिस का डर गायब!
घटना के जो सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं, उनमें साफ देखा जा सकता है कि आरोपी पूरी तैयारी और घेराबंदी के साथ हत्या को अंजाम देते हैं। मतलब ये साफ है — उन्हें कानून या पुलिस का कोई खौफ नहीं।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि निगरानीशुदा बदमाशों पर “निगरानी” केवल फाइलों में है। जिन अपराधियों के नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हैं, वही शहर की सड़कों पर सरेआम खून कर रहे हैं। सवाल उठता है — आखिर ऐसी “निगरानी” का मतलब क्या है? अगर अपराधी खुली हवा में कत्ल कर सकते हैं, तो पुलिस की जिम्मेदारी कहां गई?
गगन बजाज कोई अपराधी नहीं था। वह एक आम युवक था, जो पुलिस की निष्क्रियता की कीमत अपनी जान देकर चुका गया। प्रशासन की ढिलाई अब “लापरवाही” नहीं, बल्कि “मिलीभगत” जैसी लगने लगी है। शहर में अपराधियों के हौसले जिस तरह बुलंद हैं, वह इस बात का संकेत है कि कानून का भय समाप्त हो चुका है।
कटनी जैसे शांत शहर में जब जनता खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे, तो यह चेतावनी है — न केवल पुलिस के लिए, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे के लिए। अब वक्त है कि पुलिस विभाग अपनी “जांच जारी है” वाली औपचारिक भाषा से आगे बढ़े और जवाबदेही तय करे।
यह हत्या केवल एक युवक की नहीं, बल्कि कानून के भरोसे की भी हत्या है। यदि इस बार भी कार्रवाई सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रही, तो अपराधियों के हौसले और बढ़ेंगे, और अगला गगन बजाज शायद किसी और घर से उठेगा।
प्रश्न सिर्फ एक है — क्या अब भी पुलिस जागेगी, या फिर कटनी में अपराधियों का राज चलता रहेगा?

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