बुधवार, 22 अक्टूबर 2025

कटनी की भटुरा खदान बनी ‘मौत का कुआँ’: 17 वर्षीय नाबालिग मज़दूर को मशीन ने कुचला; प्रशासन की ‘अंधेरगर्दी’ पर हड़कंप ,

कटनी की भटुरा खदान बनी ‘मौत का कुआँ’: 17 वर्षीय नाबालिग मज़दूर को मशीन ने कुचला; प्रशासन की ‘अंधेरगर्दी’ पर हड़कंप ,

प्रशासनिक लापरवाही और बाल मज़दूरी की खुली पोल — हादसे ने खनन माफ़िया और सिस्टम की साँठगाँठ उजागर की

कटनी। ज़िले के विजयराघवगढ़ थाना क्षेत्र की भटुरा खदान बुधवार सुबह लहू-लुहान हो गई। प्रशासनिक अनदेखी और खुलेआम हो रही ‘बाल मज़दूरी’ की भेंट चढ़े एक 17 वर्षीय नाबालिग मज़दूर की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके में उबाल ला दिया है।

पत्थर तोड़ने वाली मशीन (जेसीबी) पलटने से चौथहा गांव निवासी किशोर की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि खनिज माफ़िया और लचर प्रशासन की मिलीभगत का आईना बन गया है।

‘बाल श्रम’ की बलि चढ़ी ज़िन्दगी — नियमों को रौंदती मौत

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह खदान में काम धड़ल्ले से चल रहा था, तभी अचानक मशीन पलट गई और उसके नीचे दबकर नाबालिग मज़दूर ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि ‘बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम’ और सुरक्षा मानकों की खुली धज्जियां उड़ाने वाला अपराध है।

18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से खदान जैसे ख़तरनाक कार्य करवाना क़ानूनन संगीन जुर्म है — फिर यह मौत कैसे हुई? यह बड़ा सवाल है।

ग्रामीणों का फूटा ग़ुस्सा — ‘ख़ान माफ़िया’ और प्रशासनिक लापरवाही पर आरोप

घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीणों और मजदूरों में भारी ग़ुस्सा फूट पड़ा।

लोगों का कहना है कि खदान में लंबे समय से बाल मज़दूरी कराई जा रही थी, लेकिन खनिज और श्रम विभाग ने ‘मौन स्वीकृति’ दे रखी थी।

ग्रामीणों ने बताया कि खदान संचालक सुरक्षा उपकरण तक नहीं देते, और निरीक्षण के नाम पर प्रशासनिक अधिकारी कागज़ी कार्रवाई कर खानापूर्ति करते हैं।

‘अंधेरगर्दी’ की हद — हादसे के घंटों बाद पहुंची पुलिस

ग्रामीणों का आरोप है कि दर्दनाक हादसे के कई घंटे बाद भी प्रशासनिक अमला और पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।

लोगों ने कहा,

> “अगर प्रशासन और श्रम विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाते, तो आज एक मासूम की जान न जाती।”

इंसाफ़ की मांग — नहीं मिला न्याय तो होगा आंदोलन

ग़ुस्साए ग्रामीणों ने मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता, खदानों में सुरक्षा मानकों का सख्त पालन, और इस ‘अपराध’ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही प्रशासन ने ज़िम्मेदारों को कटघरे में नहीं खड़ा किया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे ।

जांच या लीपापोती?

फिलहाल पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीणों को डर है कि यह जांच भी कागज़ों तक सीमित न रह जाए।

इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है —

> “कटनी की खदानों में नाबालिगों की जान से खिलवाड़ आखिर कब तक?”

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