बुधवार, 20 अगस्त 2025

GRP भोपाल ने अर्चना तिवारी गुमशुदगी पर दिखाई तत्परता, लेकिन कटनी पुलिस नाबालिग आदिवासी पीड़िता के मामले में बनी असंवेदनशील! , POCSO और SC-ST एक्ट की अनदेखी, FIR की जगह NCR से शुरू हुआ खेल, आरोपी अब भी आज़ाद !

कटनी।
जिले की पुलिस कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। जहां भोपाल GRP ने कटनी निवासी अर्चना तिवारी की गुमशुदगी को गंभीरता से लेते हुए नेपाल बॉर्डर तक टीम भेजकर सकुशल बरामदगी कर ली, वहीं कटनी की कुठला पुलिस अपने ही जिले की 14 वर्षीय आदिवासी नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ जैसे संगीन मामले में असंवेदनशील और लापरवाह साबित हो रही है। पुलिस की लापरवाह कार्य प्रणाली से नाबालिग न्याय के लिए दर दर भटकने को मजबूर है। इस संबंध मे पीड़िता ने SP को शिकायत दिया है। अब देखना है कि पुलिस आगे क्या कदम उठाती है। 

NCR से शुरू हुआ खेल

आधी रात को थान पहुंची नाबालिग और उसकी मां ने जब आरोपी अक्षय कुमार  (उम्र 22 वर्ष, पिता – अनवर चक्रवर्ती) पर घर में घुसकर छेड़छाड़ का आरोप लगाया, तो पुलिस ने FIR दर्ज करने की जगह केवल NCR बना दी। जबकि मामला सीधा-सीधा POCSO एक्ट और SC-ST एक्ट के दायरे में आता था।


NCR बेअसर, आरोपी खुलेआम

काफी दबाव के बाद 13 अगस्त को NCR क्रमांक 0763/2025 दर्ज तो हुई, लेकिन पुलिस ने आरोपी को थाने बुलाकर पूछताछ के बाद छोड़ दिया। नतीजा यह हुआ कि आरोपी और उसके परिजन अब पीड़ित परिवार को लगातार धमका रहे हैं।

डरी-सहमी नाबालिग छात्रा

छात्रा स्कूल जाना बंद कर चुकी है। बाहर निकलने के लिए भी उसे अपनी मां के साथ रहना पड़ रहा है। परिवार का कहना है कि न्याय की उम्मीद में वे थक चुके हैं, और अब वे उच्च अधिकारियों तक शिकायत ले जाने को मजबूर हैं।

कटनी पुलिस पर सवाल

जब GRP भोपाल अर्चना तिवारी मामले में तेज़ी दिखा सकती है, तो कुठला पुलिस नाबालिग आदिवासी बच्ची के केस में सुस्त क्यों?

आखिर किस दबाव में POCSO और SC-ST एक्ट नहीं जोड़े गए?

NCR दर्ज होने के बाद ही तय हो गया कि आरोपी जेल के बजाय सड़कों पर घूमता रहेगा। 

यह प्रकरण कटनी पुलिस की कार्यप्रणाली पर न केवल सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गंभीर अपराधों में भी यहां कानून से ज्यादा रसूख व पुलिस की मनमानी हावी है।

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