कटनी। थाना कुठला क्षेत्र में नाबालिग आदिवासी बालिका से घर में घुसकर छेड़छाड़ के मामले में खबर का असर साफ नज़र आया है। पुलिस ने आरोपी अक्षय उर्फ कपिल (22 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ अपराध क्रमांक 641/25 पर धारा 75, 331(2) बीएनएस, पाक्सो एक्ट 7/8 और एससी-एसटी एक्ट 3(2)(va) के तहत मामला दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शुरुआती दौर में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कोई कार्रवाई होगी, या फिर उन्हें अभयदान मिल जाएगा? केवल आरोपी की गिरफ्तारी से न्याय व्यवस्था पूरी नहीं होती, जवाबदेही तय होना भी उतना ही ज़रूरी है।
आज हालत यह है कि बाहर मनचलों से जूझती बेटियां जब थानों में न्याय की उम्मीद लेकर जाती हैं तो अक्सर खुद को ठगा हुआ महसूस करती हैं। कठोर कानून होने के बावजूद अगर पुलिस की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिह्न लगे तो यह व्यवस्था की बड़ी नाकामी है।
आखिर कब तक बेटियां असुरक्षा और उपेक्षा की इस दोहरी मार को झेलेंगी? क्या कटनी पुलिस इस प्रकरण को टर्निंग प्वाइंट बनाएगी और दोषी कर्मचारियों पर भी सख्त कदम उठाएगी, या फिर हालात जस के तस रहेंगे?

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें