कटनी। जिले की बरही तहसील में पदस्थ पटवारी यादवेन्द्र सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. दो दिन पहले ही अपनी ही विधानसभा के विधायक संजय पाठक से बातचीत की ऑडियो वायरल होने के बाद से पटवारी पहले से ही उनके "चहेतो" और समर्थकों के घेरे में आ गए थे. उस ऑडियो के एक दिन बाद ही, पटवारी का रिश्वत मांगते हुए एक और ऑडियो वायरल हुआ था, जिसने आरोपों को और पुख्ता कर दिया. अब मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के समक्ष पटवारी पर भ्रष्टाचार के दो और गंभीर आरोप लगे हैं. दोनों शिकायतकर्ताओं ने पटवारी की जांच कर सख्त कार्रवाई की मांग की है.
पहले से ही विवादों में था पटवारी
पटवारी यादवेन्द्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप कोई नए नहीं हैं. हाल ही में विधायक और उनके गनमैन की वायरल ऑडियो के बाद से ही पटवारी चर्चा में थे. इस ऑडियो के अगले ही दिन, पटवारी का एक और ऑडियो सामने आया था, जिसमें वह कथित तौर पर काम के बदले रिश्वत की मांग कर रहा था ,इन ऑडियो के वायरल होने के बाद से ही पटवारी की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे थे.
शिकायतकर्ता
आज फिर दो नई शिकायतें, लगे कई गंभीर आरोप
इसी पृष्ठभूमि में आज फिर दो शिकायतकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे और पटवारी पर कई गंभीर आरोप लगाए:
पहला मामला: सीमांकन के लिए मांगे 10 हजार रुपए, धमकी भी दी
ग्राम केवलारी निवासी दो सगे भाइयों सत्येन्द्र सिंह और योगेन्द्र सिंह ने अपनी जमीन के सीमांकन के लिए 20 अप्रैल 2025 को आवेदन दिया था. 2 मई को जब दोनों पटवारी से मिले तो उसने साफ कहा – "काम कराना है तो 10 हजार देना पड़ेगा, फ्री में कराना है तो समझ लो 10 आरे जमीन कम नाप दूंगा। नेतागिरी करोगे तो भूल जाओ कि नाप होगा।"
पटवारी ने यह भी कहा कि "ना मैं तहसीलदार, एसडीएम या कलेक्टर की सुनता हूं। मैं अपनी मर्जी का मालिक हूं।"
11 जून 2025 को तय तारीख पर सीमांकन भी नहीं किया गया. किसान भाइयों ने कलेक्टर से इस पूरे मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की है.
दूसरा मामला: नामांतरण के लिए 10 हजार की डिमांड, 5 हजार वसूल लिए
एक अन्य शिकायत में केवलारी निवासी राजू यादव ने आरोप लगाया कि जमीन खरीदी के बाद जब वह नामांतरण कराने गया, तो पटवारी ने उससे भी 10 हजार रुपए मांगे. बाद में 5 हजार रुपए लेकर काम अटका दिया. पटवारी बार-बार पैसों के लिए दबाव बनाता रहा.
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, पर चुप्पी क्यों?
दोनों मामलों में कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोपों पर वरिष्ठ अधिकारी क्या एक्शन लेते हैं. गौरतलब है कि विधायक की तरफ से वायरल ऑडियो पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई है, और न ही पटवारी की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी हुआ है. पटवारी की कथित 'मैं ही कानून हूं' वाली कार्यशैली और इस पूरे 'ऑडियो कांड' के बाद भी चुप्पी कई सवाल खड़े करती है.


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