📌 मामले के खुलासे के बाद अपर कलेक्टर साधना परस्ते ने तुरंत संज्ञान लेते हुए जांच टीम गठित कर दी है। टीम को तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
💥 जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य:
- कई EWS प्रमाण पत्र ऐसे व्यक्तियों को दिए गए जिनके रिकॉर्ड और दस्तावेज कार्यालय में मौजूद नहीं हैं।
- यहां तक कि एक नाबालिग के नाम पर भी प्रमाण पत्र जारी किया गया है।
- सामान्यत: जहाँ प्रमाण पत्र जारी होने में 15 से 20 दिन लगते हैं, वहीं इस मामले में यह मात्र 15 मिनट में जारी कर दिए गए।
🗣️ लोकसेवा केंद्र प्रबंधक ने बताया:
“यह प्रक्रिया इतनी तेज़ नहीं हो सकती। इस तरह का अप्राकृतिक व्यवहार नियमों के स्पष्ट उल्लंघन को दर्शाता है।”
🔎 बताया जा रहा है कि एक स्थानीय समाजसेवी द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद ही प्रशासन हरकत में आया और मामला उजागर हुआ। अब इस फर्जीवाड़े से जुड़े तहसील व लोकसेवा केंद्र के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
🏛️ सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण और योजनाओं का लाभ देने हेतु जारी किए जाने वाले EWS प्रमाण पत्रों के इस दुरुपयोग ने व्यवस्था की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
📢 अब पूरे तहसील क्षेत्र में जारी EWS प्रमाण पत्रों की जांच शुरू हो गई है, और दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी भी की जा रही है।
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