कटनी, 13 सितम्बर। औलाद की बेरुख़ी और पुलिस की संवेदनहीनता के बीच आखिरकार प्रशासन ने इंसाफ़ दिलाया। अल्फर्ट गंज निवासी वृद्धा राजकुमारी को उनके ही बेटों ने घर से निकाल दिया। कोतवाली पुलिस ने मशक्कत के बाद महज़ NCR दर्ज कर पल्ला झाड़ लिया, लेकिन एसडीएम प्रमोद कुमार चतुर्वेदी की सख्ती से मां को उनका छिना हुआ घर और सम्मान वापस मिला।
राजकुमारी ने आवेदन देकर आरोप लगाया था कि बेटे आशीष ठाकुर और शिव सिंह ठाकुर तथा बहू आरती ठाकुर ने मारपीट कर उन्हें घर से बाहर कर दिया और मकान तोड़कर गोदाम बनाने की साज़िश रची।
“माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007” के तहत दर्ज मामले की सुनवाई में एसडीएम ने पाया कि मकान वृद्धा के नाम दर्ज है। उन्होंने आदेश दिया कि बेटे हर महीने 10 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता दें और तत्काल अनाधिकृत कब्जा हटाकर मकान मां को सौंपा जाए।
शनिवार को तहसीलदार आशीष अग्रवाल और टीआई अजय सिंह ने मौके पर जाकर कब्जा दिलाया और वृद्धा को उनके घर का अधिकार सौंपा।
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए सबक है कि कानून औलाद की बेरुख़ी पर भारी पड़ सकता है और बुज़ुर्ग अपने अधिकारों के लिए अकेले नहीं हैं।

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