बुधवार, 3 सितंबर 2025

कटनी पुलिस पर दोहरा संकट: रसूखदारों के आगे पस्त, कमजोरों पर सख़्त – कॉम्बिंग गश्त के बीच उठे सवाल

कटनी। जिले की पुलिस इन दिनों दोहरी परीक्षा से गुजर रही है। एक तरफ़ पुलिस अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का ढोल पीट रही है और कांबिंग गश्त अभियान के तहत 235 से ज्यादा वारंटी और अपराधियों को पकड़ने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ़, दो हाई-प्रोफाइल मामलों में रसूखदार आरोपियों को गिरफ्तार न कर पाने की नाकामी ने पुलिस की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

हाई-प्रोफाइल मामलों में पुलिस की चुप्पी

पहला मामला एक महिला टीआई के ससुर से जुड़ा है, जो शराब का ठेकेदार है। उस पर गंभीर अपराधों का आरोप है। उसके गुर्गों ने हाल ही में बोलेरो से ग्रामीणों को कुचल दिया था, जिसमें दहशत फैल गई थी। लेकिन घटना के 15 दिन बाद भी ठेकेदार फरार है। सूत्रों का कहना है कि महिला टीआई के रिश्तेदार होने के कारण पुलिस उस पर हाथ डालने से कतरा रही है। सवाल यह है कि अगर आरोपी कोई आम व्यक्ति होता तो क्या पुलिस उसे इतनी आसानी से खुले घूमने देती?

दूसरा मामला जिले में पदस्एथ रहीं एक पूर्व महिला टीआई के पति का है। उस पर युवतियों से अभद्रता, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। शिकायत सीधे एसपी तक पहुंची, एफआईआर भी दर्ज हुई, लेकिन गिरफ्तारी आज तक नहीं हुई। इससे यह धारणा और पुख्ता हो रही है कि पुलिस रसूखदारों और अपने विभाग से जुड़े लोगों को बचाने में ज्यादा सक्रिय रहती है।

जनता के भरोसे पर संकट

इन दोनों मामलों ने पुलिस की निष्पक्षता और साख पर गहरी चोट पहुंचाई है। कटनी की गलियों और चौक-चौराहों पर अब यही चर्चा है कि पुलिस कमजोर और आम नागरिकों पर तो सख्ती दिखाती है, लेकिन जब आरोपी रसूखदार निकलते हैं तो खाकी ढीली पड़ जाती है।

दूसरी तरफ़ – पुलिस का बड़ा अभियान

इन्हीं आलोचनाओं के बीच पुलिस अधीक्षक अभिनय विश्वकर्मा और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संतोष डेहरिया के निर्देशन में जिलेभर में विशेष कांबिंग गश्त चलाई गई। इस दौरान 190 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने 15 थानों के क्षेत्रों में दबिश दी।

अभियान के नतीजे

  • 151 गिरफ्तारी वारंटी
  • 29 स्थाई वारंटी
  • 17 अवैध शराब के आरोपी
  • 12 जुआ-सट्टा आरोपी
  • 08 अन्य अपराधी
  • 13 लोग शराब पीकर वाहन चलाते पकड़े गए
  • 47 जमानती वारंट और 30 सम्मन तामील
  • 75 से अधिक निगरानी बदमाशों और गुंडों की चेकिंग

चमकदार आंकड़े बनाम कड़वी हकीकत

अभियान की सफलता के आंकड़े वाकई बड़े दिखते हैं। पुलिस का कहना है कि इससे लंबे समय से फरार अपराधियों को पकड़कर अदालतों में पेश किया गया और शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आदतन अपराधियों को सख्त चेतावनी दी गई। लेकिन सवाल वही—जब छोटे-छोटे वारंटियों और सट्टेबाजों को दबिश देकर पकड़ा जा सकता है, तो रसूखदार आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर क्यों हैं?

“दिखावे की सख्ती, असलियत में ढिलाई”

आम नागरिक और सामाजिक संगठनों का कहना है कि पुलिस की यह रणनीति सिर्फ आंकड़ों का खेल है। “कॉम्बिंग गश्त” जैसी कार्रवाइयाँ दिखावे में भले ही बड़ी लगें, लेकिन जब तक बड़े और रसूखदार आरोपी जेल के पीछे नहीं होंगे, तब तक जनता का भरोसा लौटना मुश्किल है।

पुलिस की चुनौती

कटनी पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह इन हाई-प्रोफाइल मामलों में गिरफ्तारी करके अपनी निष्पक्षता साबित करे। अगर पुलिस रसूखदारों को छोड़कर केवल छोटे अपराधियों पर ही कार्रवाई करती रही, तो उसके सारे अभियान जनता की नजरों में सिर्फ इमेज मेकओवर का हिस्सा बनकर रह जाएंगे।

                            कटनी पुलिस एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ उसे तय करना होगा कि वह “सिर्फ आंकड़ों से काम चलाएगी” या फिर सचमुच कानून सबके लिए बराबर है का संदेश देगी। फिलहाल हालात यही कह रहे हैं कि खाकी रसूखदारों के सामने पस्त है और कमजोरों पर सख़्ती दिखा रही है। आने वाले दिनों में पुलिस की कार्रवाई ही यह साबित करेगी कि उसकी साख बचती है या जनता का भरोसा हमेशा के लिए टूट जाता है।


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