कटनी। एक जिले में जब ईमानदार पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति होती है, तो जनता को सबसे बड़ी उम्मीद यही रहती है कि अब अपराधों पर अंकुश लगेगा, कानून-व्यवस्था मजबूत होगी और आम नागरिक सुरक्षित महसूस करेंगे। लेकिन कटनी की हकीकत इस उम्मीद से बिल्कुल उलट है। जिले में अपराधों की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही। हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, लूट, अवैध शराब, गांजा, स्मैक और चाकूबाजी जैसी घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वे दिन-दहाड़े वारदात करने से भी नहीं हिचकते।
ताजा मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है, जहां शहर के नामी ट्रांसपोर्ट व्यवसाई अनिल जैन के घर 50 लाख की चोरी को अंजाम दिया गया। परिवार सागर गया हुआ था, घर पर दो दिन से ताला लगा था। चोरों ने इस मौके का फायदा उठाकर नकद 5 लाख रुपये, 30 तोला सोना और 5 किलो चांदी के जेवर साफ कर दिए। सवाल यह है कि शहर के बीचोंबीच इतनी बड़ी वारदात हो गई और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
हर वारदात के बाद पुलिस का वही पुराना बयान आता है—“जल्द ही आरोपी पकड़े जाएंगे, जांच जारी है।” क्या सिर्फ इतना कह देना ही काफी है? आखिर पुलिस की भूमिका केवल औपचारिक बयान जारी करने तक सीमित हो गई है या फिर वाकई अपराधियों पर अंकुश लगाने की क्षमता खो चुकी है?
जिले में पिछले कुछ महीनों का ग्राफ देखें तो यह साफ हो जाता है कि पुलिस का खौफ अपराधियों के मन से खत्म हो चुका है। गली-कूचों से लेकर बड़े मोहल्लों तक असामाजिक तत्व सक्रिय हैं। न तो चौकसी नजर आती है और न ही सक्रिय गश्त। अवैध शराब, गांजा और स्मैक का धंधा खुलेआम चल रहा है। हत्या और बलात्कार की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। लेकिन पुलिस की “कार्रवाई” सिर्फ अखबारों के पन्नों और प्रेस नोट्स तक ही सीमित है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर आम जनता कब तक असुरक्षा की खाई में धकेली जाती रहेगी? क्या नागरिकों को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी? यदि यही हाल रहा तो लोग पुलिस पर भरोसा करना छोड़ देंगे और अपराधियों का मनोबल और बढ़ जाएगा।
आज कटनी में सबसे ज्यादा जरूरत है ठोस कार्रवाई की। पुलिस को दिखावे और बयानबाजी से बाहर निकलकर जमीनी स्तर पर सक्रियता दिखानी होगी। अपराधियों पर नकेल कसने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी होगी। अन्यथा कटनी सचमुच अपराधियों का गढ़ बनकर रह जाएगा।
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