कटनी। सरकारी स्कूल में उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक का ऐसे स्कूल में तबादला कर दिया गया था जहां न उर्दू पढ़ाने की स्वीकृत पदस्थापना थी और न ही उर्दू पढ़ने वाले छात्र। इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि उर्दू विषय के शिक्षकों की पदस्थापना केवल वहीं की जाए जहां स्वीकृत पद और उर्दू के छात्र दोनों उपलब्ध हों।
न्यायमूर्ति मनिन्दर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने यह आदेश आज मंगलवार को याचिकाकर्ता इलियास अहमद की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। इलियास अहमद आजाद चौक, कटनी निवासी हैं और वर्तमान में शासकीय माध्यमिक विद्यालय खमरिया नंबर-2 में उर्दू शिक्षक के रूप में पदस्थ थे। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कटनी ने उनका स्थानांतरण शासकीय प्राथमिक विद्यालय, कोठी, धिमारखेड़ा कर दिया, जहां न तो उर्दू का कोई स्वीकृत पद है और न ही उर्दू पढ़ने वाले छात्र।
अहमद ने इस आदेश को चुनौती देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर कटनी और लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को आवेदन दिए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अहमद ने यह भी तर्क दिया कि वे मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी हैं और शासन के नियम अनुसार उन्हें स्थानांतरण से छूट मिलनी चाहिए थी। अंततः उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने शिक्षक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी उर्दू शिक्षक को ऐसे स्कूल में भेजना, जहां उर्दू पढ़ने वाले छात्र ही न हों, शिक्षा के हितों के खिलाफ है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि उनके स्थानांतरण के खिलाफ प्रस्तुत आवेदन का निराकरण 30 दिनों के भीतर किया जाए।
अहमद की ओर से अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह और पद्मावती जायसवाल ने पैरवी की।
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