भोपाल: मध्यप्रदेश भाजपा के अगले अध्यक्ष का फैसला अब दिल्ली के हाथों में है। सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी पर टिकी हैं, जो इस बार नए प्रदेश अध्यक्ष का भाग्य तय करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इस बार सीधा दखल नहीं होगा और अंतिम नाम 'डाकिया' यानी धर्मेंद्र प्रधान के जरिए भोपाल पहुंचेगा।
रेस में कई पुराने चेहरे शामिल हैं, जिनमें मौजूदा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा, प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर प्रमुख हैं। धर्मेंद्र प्रधान को भी दिल्ली से निर्देश लाने वाले चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, यदि विभिन्न खेमों के बीच सहमति नहीं बन पाई, तो पार्टी एक अप्रत्याशित नाम सामने ला सकती है, जिसे कार्यकर्ता "लॉटरी लगना" कहते हैं। इससे मौजूदा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा की वापसी की संभावना भी बनी हुई है।
जातीय संतुलन के लिहाज से यह पद महत्वपूर्ण है। "बामन" (ब्राह्मण) और "बनिया" (वैश्य) वर्ग के बीच हमेशा से खींचतान रही है, लेकिन इस बार सिंधी समुदाय से भी एक नाम उभरने की चर्चा है।
यह फैसला केवल संगठन का चेहरा तय नहीं करेगा, बल्कि आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री पद के चेहरे की राह भी तय करेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति 2028 विधानसभा और 2029 लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की पिच तैयार करेगी। पार्टी के लिए जमीनी पकड़, हाईकमान से नजदीकी और जातीय संतुलन तीनों का संतुलन साधना एक बड़ी चुनौती होगी।
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