स्थानीय नागरिकों का कहना है कि टूटा डिवाइडर सड़क पर असंतुलन पैदा कर रहा है, जरा सी चूक से वाहन पलट सकते हैं और ज़िंदगी मौत में बदल सकती है। खासकर रात के अंधेरे में यह डिवाइडर जानलेवा जाल साबित हो रहा है। लेकिन नगर निगम के लिए शायद कुर्सी की गद्दी और एसी दफ्तरों की ठंडक ही प्राथमिकता है, जनता की जान नहीं।
आक्रोशित नागरिकों ने तंज कसते हुए कहा—
“क्या नगर निगम किसी की जान जाने का इंतज़ार कर रहा है?”
“हादसा होने के बाद ही क्यों हरकत में आते हैं जिम्मेदार?”
“जनता रोज़ मौत के साए में जी रही है, और निगम अफसर बेखबर सो रहे हैं।”
लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर निगम ने अब भी आंखें नहीं खोलीं तो किसी भी बड़े हादसे की जिम्मेदारी सीधे तौर पर नगर निगम और संबंधित विभाग के अधिकारियों पर होगी। सवाल उठता है—क्या नगर निगम मासूमों की लाशों पर ही अपनी नींद तोड़ेगा?

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